मध्यप्रदेश में उपभोक्ताओं के लिए एक नई नीति लागू
New policy implemented: मध्यप्रदेश में बिजली बिल बकाया रखने वाले उपभोक्ताओं के लिए एक नई नीति लागू की जा रही है, जिसमें उपभोक्ता और उनके परिवार के सदस्य दोनों की बैंक जानकारी जिलों के कलेक्टर और एसपी के पास होगी। अगर उपभोक्ता ने कई महीनों से बिजली बिल नहीं चुकाया है, तो वसूली किसी भी पारिवारिक सदस्य के बैंक खाते से की जा सकेगी। इसके लिए एक जिलास्तरीय कमेटी बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष कलेक्टर होंगे और अन्य सरकारी अधिकारी इसके सदस्य होंगे।इस कमेटी का उद्देश्य केवल वसूली करना ही नहीं बल्कि ऊर्जा विभाग द्वारा दी जा रही सब्सिडी के दुरुपयोग को भी रोकना है। यह कमेटी बिजली चोरी को पकड़ने, बिजली बिल वसूली के दौरान कर्मचारियों को सुरक्षा देने और सरकारी विभागों से बकाया राशि वसूलने की भी जिम्मेदारी संभालेगी। इसके अलावा, कमेटी का मासिक बैठक का प्रावधान रखा गया है, जिसमें बिजली सेवाओं में सुधार पर भी चर्चा होगी।
बिजली कनेक्शन को प्रॉपर्टी डेटा बेस से जोड़ने की योजना
बिजली कंपनी उपभोक्ताओं की संपत्ति की जानकारी को अपने डेटा बेस से जोड़ने की तैयारी कर रही है। 1.77 करोड़ उपभोक्ताओं में से 1.1 करोड़ के आधार नंबर बिजली कंपनी के पास नहीं हैं, इसलिए अब केवाईसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बकाया राशि और सब्सिडी में बदलाव
वर्तमान में, तीनों बिजली वितरण कंपनियों के उपभोक्ताओं पर 11,560 करोड़ रुपये की बकाया राशि है, जिसमें 3,173 करोड़ रुपये का सरचार्ज भी है। वसूली के लिए तीन विकल्प तैयार किए गए हैं। वहीं, सरकार अटल गृह ज्योति योजना में मिल रही सब्सिडी में कटौती करने की योजना बना रही है। अब 100 यूनिट बिजली 150 रुपये में देने का प्रस्ताव है।इस सब्सिडी में बदलाव से करीब 62 लाख घरेलू उपभोक्ता सब्सिडी के लाभ से बाहर हो जाएंगे, जिससे वर्तमान में सब्सिडी पाने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 108 लाख से घटकर 46 लाख रह जाएगी।
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