
कुंबी-पंवार समाज के बीच झूलती रही मुलताई सीट
MP Election – बैतूल – 1957 में गठित हुई मुलताई-आमला विधानसभा सीट का पहला परिसीमन 1977 में हुआ और इस सीट से आमला को हटा दिया गया। इसके बाद गठित हुई विधानसभा सीट पर सामाजिक दृष्टि से पंवार समाज का वर्चस्व बढ़ गया और 1977 से 1990 तक चारों चुनाव में पंवार समाज से जुड़ा उम्मीदवार ही निर्वाचित हुआ। लेकिन इसके परिस्थितियां बदली और पहली बार 1993 में इस सीट से कुंबी समाज से जुड़े डॉ. पंजाबराव बोडख़े निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते। बस इसी के बाद पंवार समाज का इस सीट से वर्चस्व कमजोर हो गया।

2008 में पुन: परिसीमन के बाद संपूर्ण मुलताई तहसील को मुलताई विधानसभा के रूप में बना दिया गया। इसी के बाद इस सीट पर कुंबी समाज का वर्चस्व बढ़ गया। इस विधानसभा सीट पर इन 66 वर्षों मेंं पंवार समाज से जुड़े 16 उम्मीदवार विभिन्न अवसरों पर चुनाव लड़े जिनमें 12 अवसरों पर इन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। सिर्फ मनीराम बारंगे तीन बार और अशोक कड़वे एक बार इस सीट से चुनाव जीते हैं।
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ये जीते पंवार उम्मीदवार | MP Election
1977 मनीराम बारंगे, निर्दलीय
1980 मनीराम बारंगे, निर्दलीय
1985 अशोक कड़वे, कांग्रेस
1990 मनीराम बारंगे, भाजपा
ये हारे पंवार उम्मीदवार
1985 मनीराम बारंगे, भाजपा
1990 धनराज कड़वे, कांग्रेस
1993 मनीराम बारंगे, भाजपा
1998 अशोक कड़वे, भाजपा
1998 डीके कालभोर, बसपा
2003 राजा पंवार, कांग्रेस
2003 बालाराम पंवार, एनसीपी
2003 भाग्यवती भादे, निर्दलीय
2008 अन्नालाल महाजन, बसपा
2008 किशनलाल बुआड़े, भाजस
2008 किशोर कड़वे, शिवसेना
2018 राजा पंवार, भाजपा
मनीराम का जीत का बना रिकार्ड | MP Election
इस विधानसभा सीट पर सर्वाधिक जीत का रिकार्ड सिर्फ मनीराम बारंगे के नाम दर्ज है। इन 66 वर्षों में एक मात्र मनीराम बारंगे ऐसे उम्मीदवार रहे हैं जो दो बार निर्दलीय और एक बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते हैं। वैसे श्री बारंगे इस विधानसभा सीट पर भाजपा की टिकट से लगातार तीन बार लडऩे वाले भी एकमात्र उम्मीदवार हैं। श्री बारंगे 1977 और 1980 में निर्दलीय एवं 1990 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते। वहीं भाजपा की टिकट पर ही 1985 और 1993 में हारे है।
30 साल में नहीं जीता कोई पंवार उम्मीदवार
इस सीट से अंतिम बार पंवार समाज के उम्मीदवार को 1990 में जीत मिली थी। इसके बाद 1993 से 2023 तक किसी भी पंवार उम्मीदवार को इस सीट पर सफलता प्राप्त नहीं हुई। 1993, 1998 एवं 2003 में लगातार तीन चुनाव में मुलताई से निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीता। इसके बाद 2008 एवं 2018 में कांग्रेस तथा 2013 में भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीता जो अन्य समाज के थे।
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