MP और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला अब और भी गंभीर हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार अब तक 16 बच्चों की जान इस जहरीले कफ सिरप के सेवन से जा चुकी है। सभी बच्चों को ColdRif कफ सिरप दिया गया था, जो तमिलनाडु स्थित एक प्लांट से आया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने फॉर्मूला बनाने वाली कंपनी की कड़ी जांच के आदेश दिए। पहली जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस दवा में पेन की स्याही और अवैध रसायनों का इस्तेमाल किया गया था।
1. पेन की स्याही का इस्तेमाल
रिपोर्ट के अनुसार, ColdRif कफ सिरप मूलतः पाउडर के रूप में उपलब्ध था। बच्चों के लिए इसे तरल बनाया जाता है। इसके लिए सॉरबिटोल नामक स्वीटनर डाला जाता है, जो बॉलपॉइंट पेन की स्याही में भी इस्तेमाल होता है। अगर यह शरीर में अधिक मात्रा में पहुँच जाए तो मौत निश्चित हो जाती है।
2. फैक्ट्री में गंदगी और स्वच्छता की कमी
जांच में पता चला कि फैक्ट्री में एयर हैंडलिंग यूनिट नहीं थी, वेंटिलेशन बेहद खराब था और उपकरण जंग लगे हुए थे। कर्मचारी बिना प्रशिक्षण के काम कर रहे थे। फैक्ट्री में स्वच्छता के नियमों का पालन नहीं हो रहा था।
3. अवैध और खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल
फार्मास्यूटिकल कंपनी बिना बिल के 50 किग्रा प्रोपिलीन ग्लाइकोल खरीद रही थी, जो अवैध है। इसके अलावा DEG जैसे जहरीले रसायनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। यह रसायन बच्चों में किडनी फेलियर का कारण बन रहा था। तीन साल पहले भी गाम्बिया में इसी दवा के सेवन से बच्चों की मौत हुई थी।
4. बिना परीक्षण के कच्चा माल
दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल बिना किसी टेस्टिंग के प्रयोग किया जा रहा था। दवा तैयार होने के बाद भी ओपन वातावरण में सैम्पलिंग की जा रही थी, जिससे दवा में संक्रमण का खतरा बढ़ गया। बॉटलिंग के लिए घटिया क्वालिटी के प्लास्टिक पाइप का इस्तेमाल हुआ।
5. फैक्ट्री में कीड़े-मकौड़े और चूहे
रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि फैक्ट्री में कीड़े, मकौड़े और चूहे भरे हुए थे। इसके लिए कोई उपाय नहीं किया गया। फैक्ट्री में मक्खियों का तांता था।
अभी इस दवा का उत्पादन पूरी तरह से रोक दिया गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में PIL भी दायर की गई है। इस जहरीली दवा को मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, केरल और महाराष्ट्र में प्रतिबंधित कर दिया गया है।





