यहाँ जाने प्रक्रिया और जरूरी बातें
Moong Ki Kheti – मूंग की दाल भारतीय थाली की शान है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी खेती करना आपके लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है? मूंग, कम पानी में उगने वाली, कम समय में तैयार होने वाली फसल है, जो गर्मी के मौसम में भी अच्छी पैदावार देती है. आइए जानते हैं कैसे आप भी अपना सकते हैं मुनाफे वाली मूंग की खेती
जलवायु और मिट्टी | Moong Ki Kheti
मूंग की खेती के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. यह रेतीली से लेकर काली मिट्टी तक कई तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है, लेकिन अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा मुफीद मानी जाती है.
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खेत की तैयारी
पिछली फसल के अवशेषों को हटाकर खेत की 2-3 जुताई करें. मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए पाटा लगाना न भूलें.
बीज का चुनाव | Moong Ki Kheti
बाजार में मूंग की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जैसे – पूसा बैसाख, पंत मूंग 1, जवाहर मूंग 60 आदि. अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्म का चुनाव करें.
बुवाई
मूंग की बुवाई गर्मी में मार्च-अप्रैल महीने में और खरीफ सीजन में जून-जुलाई में की जा सकती है. बुवाई के लिए कतारों में 20-25 सेंटीमीटर का फासला रखें.
खाद और खरपतवार नियंत्रण | Moong Ki Kheti
खेत में अच्छी मात्रा में गोबर की खाद डालें. साथ ही, मिट्टी परीक्षण के आधार पर रासायनिक खादों का भी प्रयोग किया जा सकता है. खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहें.
सिंचाई
मूंग कम पानी वाली फसल है, लेकिन जरूरत के हिसाब से हल्की सिंचाई करते रहें. खासकर दाने बनने के समय पानी की कमी न होने दें.
फसल कटाई | Moong Ki Kheti
जब फलियां पीली पड़ने लगें और दाने सख्त हो जाएं, तब फसल की कटाई कर लें. कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखा लें.मूंग की खेती ना सिर्फ कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है, बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है. तो देर किस बात की, इस गर्मी में आप भी अपनाएं मूंग की लाभकारी खेती!
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