Molecular Lab: गर्भस्थ शिशु में सिकल सेल एनीमिया का लगाया जा सकेगा पता 

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जल्द ही एडवांस मॉलेक्युलर लैब की शुरुआत

Molecular Lab: इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही एडवांस मॉलेक्युलर लैब की शुरुआत होने जा रही है, जिससे गर्भस्थ शिशु में सिकल सेल एनीमिया का पता लगाया जा सकेगा। यह लैब 15 नवंबर को संभावित रूप से शुरू होगी। केंद्र सरकार ने इस लैब के लिए 2 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। यह यूनिट एमवाय अस्पताल में ब्लड बैंक के पास स्थापित की जा रही है। लैब का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के कंसल्टेंट्स भी इसका निरीक्षण कर चुके हैं।

सिकल सेल एनीमिया: एक गंभीर जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर

सिकल सेल एनीमिया एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें रेड ब्लड सेल्स का आकार टेढ़ा हो जाता है। इससे खून की कमी और जोड़ों में दर्द सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। खासकर आदिवासी क्षेत्रों में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है। यदि माता-पिता दोनों को यह बीमारी है, तो बच्चों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रदेश के कई जिलों, जैसे झाबुआ, आलीराजपुर, खंडवा, और खरगोन से मरीज इंदौर में इलाज के लिए आते हैं। एमवाय अस्पताल में फिलहाल 800 बच्चे सिकल सेल एनीमिया के इलाज के लिए पंजीकृत हैं।

लैब से मिलने वाले फायदे

उन्नत जांच सुविधाएं: लैब में बोन मैरो ट्रांसप्लांट, गर्भस्थ शिशु की जांच, और रेड सेल एक्सचेंज प्रोग्राम जैसी आधुनिक सेवाएं उपलब्ध होंगी।

मुफ्त इलाज: मरीजों को सिकल सेल एनीमिया के इलाज की सुविधाएं मुफ्त में मिलेंगी, और उन्हें शासन की योजनाओं का भी लाभ मिलेगा।

उपकरण और तकनीक: लैब में पीसीआर और एचपीएलसी मशीनें लगाई जाएंगी, जिससे सटीक और उन्नत जांचें की जा सकेंगी।समन्वित प्रयास: प्रसूति, शिशु रोग, रेडियोलॉजी, और मेडिसिन विभागों के सहयोग से मॉलेक्युलर स्तर पर शिशु की जांच की जाएगी।

भविष्य की योजना

भारत सरकार ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को जड़ से समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल, मध्य प्रदेश में इंदौर और भोपाल में स्थापित होने वाली ये लैब्स इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

source internet साभार…