पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का एक नया रूप
Medical practices: जीभ का निरीक्षण कर बीमारियों का लगाएंगे पतायह सोचना कितना अद्भुत है कि सैकड़ों साल पहले, हमारे वैद्य केवल नब्ज, मुंह, या जीभ देखकर किसी व्यक्ति की बीमारी का सटीक निदान कर सकते थे। यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। जैसे-जैसे समय बदला, आधुनिकता के प्रभाव में हमने उन पारंपरिक विधियों को पीछे छोड़ दिया और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर अग्रसर हो गए। हालांकि, इस विकास की दौड़ में हमने अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को खो दिया।
लेकिन अब, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, उन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का एक नया रूप हमारे जीवन में फिर से प्रवेश करने जा रहा है। इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सिस्टम विकसित किया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से व्यक्ति की जीभ का निरीक्षण करके उसकी बीमारियों का सटीक पता लगाया जा सकता है।
यह नई तकनीक न केवल बीमारियों की जल्दी पहचान में सहायक होगी, बल्कि बार-बार रक्त परीक्षण कराने की आवश्यकता को भी कम कर देगी। यह तकनीक उस प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम है, जो भविष्य में हमारे स्वास्थ्य देखभाल के तरीके को पूरी तरह से बदल सकता है। इस क्रांतिकारी प्रणाली के आने से हम एक बार फिर उस दौर की ओर लौट सकते हैं, जहां केवल एक नजर में ही व्यक्ति की बीमारी का पता चल जाता था।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल विकसित
हाल ही में इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल विकसित किया है जो जीभ की तस्वीरों के माध्यम से 98 प्रतिशत सटीकता के साथ बीमारियों का पता लगा सकता है। यह तकनीक जीभ की फोटो को रियल टाइम में विश्लेषित करती है, जिससे तेजी से और सही परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि यह तकनीक पूरी तरह सफल हो जाती है, तो बीमारियों का पता लगाना मात्र कुछ मिनटों का काम हो जाएगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि रोगों की प्रारंभिक पहचान और त्वरित उपचार भी संभव हो सकेगा। इस तकनीक की सफलता भविष्य में चिकित्सा परीक्षण के तरीकों को पूरी तरह से बदल सकती है, जिससे जटिल और समय-साध्य प्रक्रियाओं की जगह सरल और तेज़ प्रक्रियाएँ ले लेंगी।
5,260 जीभ की तस्वीरों पर किया परीक्षण
यह तकनीक प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित है, जिसमें डॉक्टर जीभ की रंगत और बनावट से रोगों का अनुमान लगाते थे। आधुनिक विज्ञान ने इस प्राचीन ज्ञान को एक उन्नत एआई मॉडल के साथ मिलाकर इसे और भी प्रभावी बना दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर इस एआई मॉडल को विकसित किया। इसे 5,260 जीभ की तस्वीरों पर परीक्षण किया गया, जिन्हें विभिन्न बीमारियों के लेबल के साथ विश्लेषित किया गया।
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साधारण स्मार्टफोन कैमरों से भी कर सकेंगे पता
यह तकनीक न केवल अधिक सटीकता प्रदान करती है, बल्कि साधारण स्मार्टफोन कैमरों से भी लागू की जा सकती है। इससे यह तकनीक दूरदराज के इलाकों में भी उपयोगी हो सकती है, जहां परंपरागत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। प्रारंभिक चरण में बीमारियों का पता लगाने से इस तकनीक के माध्यम से प्रभावी उपचार संभव हो सकता है और महामारी जैसी स्थितियों में त्वरित कदम उठाए जा सकते हैं।
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