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मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 58.1 तक पहुंचा, मार्च में इंडस्ट्रियल सेक्टर में तेज रफ्तार आई

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Manufacturing PMI for March : प्राइवेट सेक्टर के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि मार्च में सुधरी है जो मांग की स्थिति में तेजी के बीच फैक्ट्री ऑर्डर और प्रोडक्शन में तेज बढ़ोतरी के कारण हुआ है. एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मार्च में 58.1 पर था, जो फरवरी में 56.3 था. वहीं, पिछले महीने फरवरी में यह स्तर 56.3 के स्तर पर रही थी. बता दें, कि 50 से अधिक का नंबर मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में विस्तार का संकेत होता है. वहीं 50 से नीचे का आंकड़ा मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट के आने का संकेत होता है.

खपत में आई तेजी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फरवरी में नए ऑर्डर और प्रोडक्शन में धीमी ग्रोथ के बीच भारत का मैनुफैक्चरिंग पीएमआई 14 महीने के निचले स्तर पर आ गया था. घरेलू ऑर्डर बुक में सुधार के कारण एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स ने पिछले वित्त वर्ष में आठवीं बार 57 से ऊपर का स्तर दर्ज किया है. हालांकि ऑटो कंपनियों के सेल्स आंकड़ों से भी पता चलता है कि ब्रिकी में बढ़ोतरी हुई है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने मार्च में बिक्री में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. इतना ही नहीं, ट्रैक्टर निर्माता एस्कॉर्ट्स कुबोटा की बिक्री में 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है.

जीएसटी कलेक्शन और यूपीआई लेनदेन बढ़ा

देश का जीएसटी कलेक्शन भी वित्त वर्ष के अंत में 1.96 लाख करोड़ रुपए पर रहने के साथ 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. जबकि यूपीआई लेनदेन 25 करोड़ रुपए के करीब पहुंच गया. हालांकि, कोयला उत्पादन निराशाजनक रहा और वित्त वर्ष के अंतिम महीने में यह 31. फीसदी तक घट गया.

इकोनॉमी की विकास दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में इकोनॉमी की विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है. ये पिछले वित्त वर्ष के 12.3 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी पर आ सकता है.

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