Lok Sabha Election : कमलनाथ-दिग्विजय की चुनाव प्रचार में हुई उपेक्षा ?

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नए नेताओं को किया सक्रिय

Lok Sabha Election भोपाल देश में लोकसभा के चुनाव 7 चरणों में पूरे होने थे जिसके अंतिम चरण के रूप में आज 1 जून को 58 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ है। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए पहले चार चरणों में मतदान हुआ था। जिसमें कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा लोकसभा के लिए 19 अप्रैल को मतदान हो चुका था। वहीं कांग्रेस के एक अन्य बड़े नेता दिग्विजय सिंह के राजगढ़ लोकसभा सीट पर 7 मई को चुनाव संपन्न हो गया था। इसके बावजूद ये दिग्गिज पूर्व की तरह मध्यप्रदेश के अन्य लोकसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए सक्रिय नहीं रहे। जबकि पिछले 40 सालों में जितने भी चुनाव हुए उनमें कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का टिकट आवंटन से लेकर प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण रोल हुआ करता था।

40 दिन पूर्व हुआ था मतदान | Lok Sabha Election

मध्यप्रदेश की चर्चित छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के लिए 40 दिन पूर्व 19 अप्रैल को ही मतदान हो चुका था। इस सीट से 1980 से कमलनाथ कांग्रेस की टिकट पर सांसद निर्वाचित होते रहे हैं। 2019 में कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ इस सीट से निर्वाचित हुए। 2024 में भी नकुल नाथ ही उम्मीदवार है। पहले के चुनाव में कमलनाथ स्वयं के हेलीकाप्टर से मध्यप्रदेश की अधिकांश लोकसभा सीटों पर प्रचार के लिए पहुंचते थे। लेकिन इस बार 19 अप्रैल तक कमलनाथ छिंदवाड़ा से बाहर नहीं निकले और उसके बाद बैतूल लोकसभा सीट पर दो आमसभा ली। और दो अन्य लोकसभा सीटों पर जनसंपर्क के लिए पहुंचने की खबर आई। इसके बाद आज 1 जून तक कमलनाथ लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए सक्रिय नहीं दिखाई दिए। बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी वो तवज्जो नहीं दी जो पहले मिलती थी। इसका कारण उनके भाजपा में प्रवेश की अफवाहों को भी माना गया। छिंदवाड़ा में इस बार भाजपा ने सीट जीतने के लिए ताकत झोंक दी जिसके चलते कमलनाथ मय परिवार इस क्षेत्र के छोटे-छोटे स्थानों पर भी नुक्कड़ सभाएं लेने के लिए मजबूर हो गए थे।

दिग्विजय भी सीमित रहे कुछ क्षेत्रों में

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे कांगे्रस के दिग्गज नेता एवं गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह की एक जमाने में कांग्रेस में तूती बोलती थी। लेकिन लंबे समय बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उनके गृह क्षेत्र राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया। यहां 7 मई को मतदान हो चुका है। इसके बावजूद दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की कुछ गिनी-चुनी सीटों पर ही प्रचार के लिए पहुंचे। वहीं अन्य राज्यों में भी उनकी पहुंच सीमित रही। बताया जा रहा है कि राजगढ़ सीट पर वे भाजपा के उम्मीदवार और दो बार के सांसद रोडमल नागर से सीधे मुकाबले में संघर्ष की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं इसलिए उन्होंने ने भी अपना अधिकांश समय क्षेत्र में ही दिया।

नए नेताओं को मिला महत्व | Lok Sabha Election

इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान ने कुछ समय पहले ही नियुक्ति किए गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पूरे चुनाव प्रचार की कमान सौंप दी थी। उनके साथ विधानसभा में नए नेता प्रतिपक्ष बनाए गए उमंग सिंघार भी सक्रिय रहे। कुछ लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के मध्यप्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी नजर आए। राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि जब से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ बड़े नेताओं की जिद के कारण यह बड़ा राज्य कांग्रेस से छीन गया है तब से प्रदेश के कांग्रेस के इन दिग्गिजों की बखत हाईकमान के सामने कम हो गई है। इसके अलावा इन नेताओं का प्रभाव कम होने का एक संकेत तब भी सामने आया जब प्रदेश के अधिकांश लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों ने भी स्टार प्रचारक के रूप में इन दोनों बड़े नेताओं की डिमांड नहीं करी। एक यह कारण भी है कि यह दोनों नेता प्रदेश में कम सक्रिय रहे।