Krishna Janmutsav – श्रीमद् भागवत कथा में हुआ श्री कृष्ण जन्मोत्सव

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गर्ग कम्पाउंड में भागवत कथा का पांचवा दिन

Krishna Janmutsavबैतूल श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। श्रीकृष्ण जन्म के वृतांत को सुनकर श्रद्धालु झूम उठे। जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व विधायक राधाकृष्ण गर्ग, श्रीमती हेमलता गर्ग और गर्ग परिवार के द्वारा 8 अक्टूबर से गर्ग कम्पाउंड में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया और कथा वाचक पं. अखिलेश परसाईं ने श्रीकृष्ण जन्म को लेकर विस्तृत वृतांत बताया।

बालकृष्ण के रूप में श्रिनय को कृष्ण के रूप में सजाया गया और उन्हें टोकनी में कथा स्थल पर लाया गया। श्रीकृष्ण जन्म को लेकर कथा श्रवण करने आए श्रद्धालु भी भावविभोर हो गए और भगवान श्रीकृष्ण को अपने हाथों में लेने के लिए आतुर दिख रहे थे।

कथा के दौरान पं. परसाईं ने बताया कि शरीर सेवा के लिए बना है जितनी सेवा करेंगे उससे शरीर पवित्र हो जाएगा। मन भजन से पवित्र होता है और जीवन कत्र्तव्य से पवित्र होता है। जीवन को संतुलित बनाए रखना चाहिए। भगवान की कृपा हो जाए तो जीवन बदल जाएगा। इंसान को कभी घमंड नहीं करना चाहिए। उन्होंने इंद्रदेव को लेकर कहा कि एक बार इंद्रदेव ने अपने गुरु का अपमान कर दिया था। अपमान के बाद गुरु ब्रहस्पति जी बिना कुछ कहे इंद्रदेव की सभा से चले गए और उन्होंने गुरु पद त्याग दिया। जब यह जानकारी असुरो को लगी तो उन्होंने इंद्रदेव पर चढ़ाई कर दी।

श्री परसाई ने कहा कि बिना गुरु के जीवन अधूरा होता है। उन्होंने दान को लेकर कहा कि दधिचि ऋषि ने जिंदा रहते अपने शरीर का दान कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह शरीर हमारा नहीं होता है ये तो इसी के काम आए और यह कहकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। दधिचि ऋषि की हड्डियों से व्रज बनाया गया और इस व्रज से असुरो का संहार किया गया।

गर्ग परिवार के सदस्य और श्रीराम मंदिर, श्री शिव मंदिर, श्री राधा-कृष्ण मंदिर, छोटा राममंदिर, एकीकृत ट्रस्ट के ट्रस्टी सचिव नवनीत गर्ग ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा में 13 अक्टूबर को रुक्मणी विवाह, महारास और फूलों की होली होगी। श्री गर्ग ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि कथा का श्रवण कर पुण्य लाभ उठाएं।