Down of Oil price : देश में तेल के दाम में गिरावट देखी जा रही है, चुकि आयातित तेल के दाम पहले से सस्ते हो चुके हैं|
खाने का तेल पहले से सस्ता हो चुका है,इसका सबसे बड़ा कारण, मलेशिया के बाजार में गिरावट जारी है| वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति अच्छी होने से भी आयतित तेल की कीमतें सस्ती पड़ रही है,इस गिरावट के कारण तिलहन बाजार भी प्रभावित हुए हैं|
देश में बड़ी मात्रा में खाने के तेल आयात किए गए हैं, जिसमें पाम, सोयाबीन, रिफाइंड और मुंगफली जैसे तेल शामिल हैं. इसके अलावा, देश के सरसों का स्टॉक भी अधिक है, ऐसे में बाजार में उपलब्ध तेल की कीमत पहले से कम हुई हैं. सोयाबीन से लेकर पाम तेल के भाव में बदलाव हुआ है|
60 प्रतिशत खाद्य तेल का हो रहा आयात- सूत्रों के मुताबिक, देश में विदेशों से करीब 60 फीसदी तेल आयात किया जा रहा है| नवंबर 2022 में आयात पहले की अपेक्षा लगभग एक करोड़ 40.3 लाख करोड़ टन का हो गया| वहीं दूसरी ओर भारत में तेल और तिलहन फसलों का उत्पादन भी बढ़ है |
आगे आयात बढ़ने की उम्मीद- अनुमानतः इस वित्त वर्ष में आयात बढ़ सकता है, क्योंकि इसके दाम में गिरावट जारी है | वहीं घरेलू स्तर पर तेल और तिलहन के स्टॉक भरपूर मात्रा में होने की संभावना है| हालांकि इसके बावजूद देश में तेल और तिलहन के दाम में कोई कमी नहीं आई है|
खुदरा पर पहले जैसा ही दाम खाद्य- तेलों के भाव में कमी होने और तेल का स्टॉक भरपूर होने के बावजूद भी लोगों को इस तेल के दाम में कमी का लाभ नहीं मिल पा रहा है,ग्राहकों को अभी भी इन तेलों के खुदरा खरीद पर पहले जितना ही दाम चुकाना पड़ रहा हैं|
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