Government pension schemes now closed: कोरोना महामारी के दौरान शुरू सरकारी पेंशन योजनाएं अब बंद

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सरकार ने स्पॉन्सरशिप स्कीम और मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना की थी शुरू

Government pension schemes now closed: कोरोना महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए शुरू की गई सरकारी पेंशन योजनाएं अब बंद हो गई हैं, जिससे बच्चों और उनके परिवारों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश में ऐसे 9,041 बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता या इनमें से किसी एक को खो दिया है। इनमें से 1,041 बच्चों ने अपने दोनों माता-पिता को और 8,000 बच्चों ने किसी एक माता-पिता को खोया है। इन बच्चों की देखभाल और लालन-पालन के लिए सरकार ने स्पॉन्सरशिप स्कीम और मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना शुरू की थी, जिसके तहत हर महीने 4,000 रुपये की पेंशन दी जा रही थी।हालांकि, जनवरी 2023 से यह आर्थिक सहायता बंद हो गई है। इसका कारण बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हो रही है। इस वजह से बच्चों और उनके अभिभावकों की उम्मीदें भी टूटने लगी हैं।

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वास्तविकता में योजनाओं का असर

केस 1:
11 साल के रितेश शर्मा (परिवर्तित नाम) ने कोरोना महामारी में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया। अब वह अपने दादा-दादी के साथ रहता है, जो वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर हैं। मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना से मिलने वाली 4,000 रुपये की सहायता उनके लिए सहारा थी, लेकिन पिछले 9 महीनों से यह सहायता भी बंद है, जिससे परिवार आर्थिक समस्याओं में घिर गया है।

केस 2:
10 साल के प्रतीक वर्मा (परिवर्तित नाम) ने अपने पिता को कोरोना के कारण खो दिया और अब उसकी मां प्राइवेट नौकरी करती हैं। उन्हें उम्मीद थी कि स्पॉन्सरशिप स्कीम से मिलने वाली 4,000 रुपये की राशि से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन पिछले 9 महीने से यह राशि भी नहीं मिली। अब मां को अपने बेटे के भविष्य की चिंता सता रही है।

बच्चों की स्थिति:

भोपाल में स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत 962 बच्चों को और मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना के तहत 700 बच्चों को मदद दी जा रही थी।महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने इस मामले की जांच करवाने का आश्वासन दिया है।बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने और उन्हें आवश्यक आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि वे अपने जीवन में आगे बढ़ सकें और किसी तरह की कमी का सामना न करना पड़े।

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