लेक्टोमीटर से चेक कर दूध की गुणवत्ता भी दिखानी होगी
Government curbs: भिंड-मुरैना में दूध और मावा में मिलावट की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने दूध बेचने वाले व्यक्तियों पर सख्ती करने का निर्णय लिया है। अब दूध बेचने के लिए इन लोगों को खाद्य सुरक्षा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके तहत उन्हें पहचान पत्र भी दिया जाएगा, जो यह प्रमाणित करेगा कि वे विभाग में पंजीकृत हैं। इसके अलावा, दूधियों के पास लैक्टोमीटर भी होना जरूरी है, जिससे वे दूध की गुणवत्ता जांचकर ग्राहकों को दिखा सकें। इस कदम का उद्देश्य दूध में मिलावट रोकना और लोगों को शुद्ध दूध उपलब्ध कराना है। इससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा, क्योंकि वे जान पाएंगे कि उनका दूधिया पंजीकृत और विश्वसनीय है। जिले में करीब चार हजार से अधिक दूधिये प्रतिदिन लाखों लोगों के घरों में दूध पहुंचाते हैं, लेकिन विभाग के पास इनकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। यह नया नियम विभाग को भी इन पर नजर रखने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेगा, जिससे दूध में पानी और हानिकारक रसायन मिलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।भिंड और मुरैना क्षेत्रों में सिंथेटिक दूध और मावा की मिलावट के मामले देशभर में कुख्यात हैं। मिलावटखोरी पर लगाम लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने जनवरी से 31 अगस्त तक 9 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई है, जबकि तीन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है।आंकड़ों के अनुसार, पिछले आठ महीनों में विभाग ने 326 सैंपल लिए, जिनमें से 51 सैंपल फेल हो गए। इनमें से 23 सैंपल दूध और उससे बने उत्पादों के थे। मिलावटखोर लोग दूध में खतरनाक पदार्थ जैसे डिटर्जेंट, यूरिया, एफ्लाटॉक्सिन एम वन, वनस्पति तेल और यहां तक कि जानवरों की चर्बी जैसे हानिकारक तत्व मिलाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं।यह कार्रवाई इस क्षेत्र में मिलावट के खिलाफ उठाए गए सख्त कदमों का हिस्सा है, ताकि मिलावटखोरी को रोका जा सके और लोगों को सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा सके।
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