पशुपालन और डेयरी उद्योग के लिए इस नस्ल की गाय पालने से होगा लाभ
देश में दूध की खपत के हिसाब से दुग्धोत्पादन नहीं हो पा रहा है। दूध उत्पादन बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से पशुपालकों को डेयरी खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें लोन और सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। नाबार्ड के तहत डेयरी उद्योग को सहायता प्रदान की जाती है।
गाय की यह नस्ले देती है 40 से 80 लीटर तक दूध जाने इन नस्लों के बारे में।
यदि आप भी डेयरी खोलना चाहते हैं या पशुपालन करते हैं तो ये खबर आपके लिए काफी उपयोगी हो सकती है। आज हम बात करेंगे गाय की गिर नस्ल की, जो 50 से लेकर 80 लीटर तक दूध दे सकती है। बता दें कि गिर गाय के दूध की बाजार में काफी मांग है और इसका दूध सामान्य गाय के मुकाबले महंगा बिकता है। इतना ही नहीं इसके दूध से बने घी की डिमांड भी काफी है। आज हम आपको khabarwani के माध्यम से अधिक दूध देने वाली गाय की गिर नस्ल की जानकारी दे रहे हैं।

गिर नस्ल की गाय की विशेषताएं
गिर यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादकता के लिए जानी जाती है। इस गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जाते हैं जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
- इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में पाया जाता है।
- इस नस्ल की गाय के कान लंबे होते हैं और लटकते रहते हैं। इसकी सबसे अनूठी विशेषता उनकी उत्तल माथे हैं जो इसको तेज धूप से बचाते हैं।
- यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पाई जाती है। मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है।
- इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है। सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं।
- यह गाय अपनी अच्छी रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए भी जानी जाती है। यह नियमित रूप से बछड़ा देती है। पहली बार 3 साल की उम्र में बछड़ा देती है।
- गिर गायों में थन अच्छी तरह विकसित होते हैं।
- ये पशु विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं और गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकतें हैं।
गिर नस्ल की गाय को पालने से लाभ
गिर गाय एक दिन में करीब 12 लीटर से अधिक दूध देने की क्षमता रखती है। जिसमें 4.5 प्रतिशत तक वसा पाया जाता है। एक बियान में यह गाय औसतन लगभग 2110 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन देती है। गुजरात में गिर ने एक बयात में 8200 किलोग्राम दूध दिया है। गुजरात के एक फार्म हाउस में गिर गाय का एक दिन में 36 किलो दूध देने का रिकॉर्ड दर्ज है जबकि ब्राजील में गिर गाय से 50 किलो दूध एक दिन में लिया जा रहा है।
गिर गाय की उत्तम नस्लें
गिर गाय की स्वर्ण कपिला व देवमणी नस्ल की गाय सबसे अच्छी गाय मानी जाती हैं। स्वर्ण कपिला 20 लीटर दूध प्रतिदिन देती है तथा इसके दूध में फैट सबसे अधिक 7 प्रतिशत होता है। स्वदेशी पशुओं में गिर का नाम दूध देने में सबसे आगे आता है। इस गाय को क्षेत्रीय भाषाओं कई अन्य नामों से जाना जाता है, जैसे- भोडली, देसन, गुराती और काठियावाड़ी आदि।
गाय की यह नस्ले देती है 40 से 80 लीटर तक दूध जाने इन नस्लों के बारे में।

गिर गाय का जीवनकाल
गिर भारत के एक प्रसिद्ध दुग्ध पशु नस्ल है। यह गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के आसपास के जिलों में पाई जाती है। गिर गाय का जीवन काल 12 से 15 वर्ष तक का हो सकता है। ये अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चों को जन्म देती है। इसका वजन करीब 400 से 475 किलोग्राम तक हो सकता है।
गिर नस्ल की गाय के दूध की कीमत
बात करें इसके दूध की कीमत की तो खबरों के मुताबिक इसके दूध की कीमत बड़े शहरों में 90 रुपए से लेकर 120 रुपए प्रति लीटर है। यदि आप इसे छोटी, डेयरी, दूध विक्रेता या ग्वाले या ब्रांडेड पैकेट से खरीदते हैं तो इसकी औसत कीमत 50 से 70 रुपए प्रति लीटर होती है। भाव में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है।
गिर नस्ल की गाय के घी की कीमत
खबरों के मुताबिक, गिर गाय के दूध से बने घी की कीमत 2000 रुपए/किलो तक बताई जा रही है।
गिर नस्ल की गाय की कैसे करें देखभाल/आवास व्यवस्था
- गिर नस्ल की गाय की देखभाल अच्छे से करनी चाहिए। इसके लिए आरामदायक आवास शेड होना चाहिए।
- शेड ऐसा होना चाहिए जिससे तेज बारिश, धूप, ठंड और परजीवी से आसानी से बचाव हो सके।
- शेड में पर्याप्त हवा की व्यवस्था होनी चाहिए। गर्मियों में पंखा व कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि तेज गर्मी से पशु को आराम मिल सकें।
- पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए खुली जगह और पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
- पशुओं का बाडा या शेड साफ सुधरा होना चाहिए। पशु के गोबर व मूत्र के निस्तारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
गिर नस्ल की गाय को क्या दें आहार/गिर गाय के लिए आहार व्यवस्था
गिर नस्ल की गाय की आहार व्यवस्था उचित तरीके से करनी चाहिए। पशु के आहार पर ही दूध की मात्रा और उसकी गुणवत्ता निर्भर करती है। इसलिए पशु को पर्याप्त मात्रा में पोष्टिक तत्व युक्त आहार देना चाहिए। गिर गाय के लिए आहार व्यवस्था इस प्रकार से की जा सकती है।
- गाय की खुराकी में मक्का, जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़वें, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़वे, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि को शामिल किया जाना चाहिए।
- हरे चारे के रूप में बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि को शामिल किया जा सकता है।
- गाय की प्रतिदनि की खुराक मे मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़वे की खल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि को भी शामिल कर सकते हैं।
- वहीं गाभिन गिर गाय को एक किलो से अधिक मात्रा में दाना देना चाहिए, क्योंकि ये गाय शारीरिक रूप से भी बढ़ती है।
अधिक दूध देने वाली गाय की अन्य उन्नत नस्लें
अधिक दूध देने वाली गाय की उन्नत नस्लों में गिर गाय का नाम सबसे ऊपर आता है। इसका मूल स्थान सौराष्ट्र, गुजरात है। इस गाय से सालाना-2000-6000 लीटर दूध का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य नस्ल की गाय भी अधिक दूध देती है, जो इस प्रकार से हैं-
गाय की यह नस्ले देती है 40 से 80 लीटर तक दूध जाने इन नस्लों के बारे में।
- साहिवाल गाय- इस गाय का प्राप्ति स्थान उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब है। ये गाय सालाना-2000-4000 लीटर दूध दे सकती है।
- लाल सिंधी- इस नस्ल की गाय का उत्पत्ति स्थल सिंध माना जाता है लेकिन अब पूरे भारत में इसका पालन किया जा रहा है। इस गाय की दूध देने की क्षमता सालाना-2000-4000 लीटर है।
- राठी- इस नस्ल की गाय सालाना-1800-3500 लीटर दूध दे सकती है। इसका प्राप्ति स्थान-राजस्थान, हरियाणा, पंजाब है।
- थरपारकर- इस गाय का प्राप्ति स्थान सिंध, कच्छ, जैसलमेर , जोधपुर है। ये गाय सालाना 1800 से 3500 लीटर दूध दे सकती है।
- कांकरेज- इस नस्ल की गाय सालाना 1500-4000 लीटर दूध दे सकती है। इसका प्राप्ति स्थान उत्तरी गुजरात व राजस्थान है।
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