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MP के चार शहरों में ED का शिकंजा: इंदौर, भोपाल, रीवा और मंदसौर में शराब कारोबारियों पर छापेमारी

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, रीवा और मंदसौर में शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे हैं। सबसे बड़ी कार्रवाई इंदौर में की गई है। यहां अलग-अलग शराब कारोबारियों के 18 ठिकानों पर दबिश दी गई है। भोपाल में एक बड़े कारोबारी के यहां सर्चिंग चल रही है। जबलपुर और मंदसौर में भी शराब व्यापारियों के ठिकानों पर जांच की जा रही है। अभी तक इस मामले में ईडी की ओर से अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। प्रारंभिक तौर पर भोपाल में आबकारी उड़नदस्ते में पदस्थ उपायुक्त आलोक खरे के ठिकानों पर छापे की जानकारी सामने आई थी। बाद में ईडी के सूत्रों ने साफ किया कि खरे के घर-दफ्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 

इंदौर में 18 ठिकानों पर कार्रवाई
इंदौर में शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर छापे पड़े हैं। बसंत बिहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर में ईडी की टीमें पहुंची हैं।

दरअसल, इंदौर जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में साल 2015 से 2018 के बीच सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए इस्तेमाल 194 बैंक चालानों में गड़बड़ी सामने आई थी। हजारों के बैंक चालानों को लाखों रुपए का बनाकर गोदामों से उतनी ही शराब उठाई गई। फिर इसे ठेकेदारों ने अपनी सरकारी शराब दुकान से बेचा। शिकायत मिलने पर ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी।

 

जालसाजी करके 49 करोड़ से ज्यादा का राजस्व नुकसान पहुंचाया
ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की है। इसमें ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी करके सरकार को 49 करोड़ से ज्यादा का राजस्व नुकसान पहुंचाने और वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 तक शराब अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने का आरोप है।

जांच में पता चला था कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में "रुपए अंकों में" और "रुपए शब्दों में" लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था जबकि "रुपए शब्दों में" के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी।

रकम जमा करने के बाद जमाकर्ता इस खाली जगह में बढ़ी हुई राशि को लाख के रूप में लिख देता था। ऐसी बढ़ी हुई रकम के चालान की कॉपियां जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर दी जाती थी।

 

मंदसौर में जनता कॉलोनी में दबिश
मंदसौर में ईडी की टीम जनता कॉलोनी स्थित शराब कारोबारी बंटी त्रिवेदी के मकान पर पहुंची है। 7 सदस्यीय टीम घर के अंदर सर्चिंग कर रही है। मौके पर सीआरपीएफ के पुलिस जवान तैनात हैं।

 

कांग्रेस बोली- संजीव ने सरकार के खाते में 22 करोड़ जमा कराए
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने शराब कारोबारियों के ठिकानों पर ईडी की कार्यवाही के बाद सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने कहा- इंदौर के फर्जी चालान कांड का मुख्य आरोपी एवं सरगना तत्कालीन आबकारी अधिकारी संजीव दुबे है। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में कई शिकायतों और 10 साल से चल रही जांच के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी को मुख्यमंत्री ने जबलपुर में पदस्थ क्यों किया? पोल खुलने के बाद चंदा इकट्‌ठा कर अधिकारियों ने 22 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा करा दिए, पर सवाल यह है कि यह धन आया कहां से?

मंडला जिले के नगर परिषद बिछिया का दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी शिव झरिया 3 करोड़ 10 लाख की संपत्ति का मालिक निकला। जबलपुर की आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ शाखा (EOW) ने झरिया के घर और ऑफिस में छापा मारा था। EOW जबलपुर के डीएसपी एव्ही सिंह ने बताया- शिव झरिया के ठिकानों से तीन प्लॉट और दो मकान के दस्तावेज मिले हैं। बैंक पासबुक और कुछ एफडी भी मिली हैं।

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