भाजपा में आने के बाद कई को मिला सीएम पद का तोहफा
Congress To BJP – भोपाल ब्यूरो (सांध्य दैनिक खबरवाणी) – छिंदवाड़ा से अचानक दिल्ली पहुंचकर दो दिन तक भाजपा की ओर से पार्टी में शामिल होने का न्यौता मिलने के इंतजार में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रवक्ता सज्जन वर्मा ने फिलहाल यह स्पष्ट किया है कि कमलनाथ भाजपा में नहीं जा रहे हैं। यदि ऐसा होता तो कमलनाथ कांग्रेस के उन 16 पूर्व मुख्यमंत्रियों में होते जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा सहित स्वयं का दल बना चुके हैं।
लेकिन इनमें 14 तो कांग्रेस छोड़कर सीधे भाजपा में गए। लेकिन इनमें कुछ ऐसे भाग्यशाली पूर्व कांग्रेसी हैं जिन्हें भाजपा में आकर भी मुख्यमंत्री का तोहफा मिला है और वे आज भी देश के विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं। लेकिन उन्हें आसाम के पूर्व मंत्री हेमंत बिसशर्मा और एन. वीरेन्द्र सिंह ऐसे भाग्यशाली भी हैं जो कांग्रेस में रहते हुए मंत्री तक बने लेकिन भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया।
इसके अलावा कांग्रेस छोड़ने के बाद कई नेता अपने-अपने राज्यों में क्षेत्रीय दल बनाकर मुख्यमंत्री बने जिनमें महाराष्ट्र में शरद पवार, पश्चिम बंगाल में ममता बेनर्जी एवं आंध्र प्रदेश मेें जगन मोहन रड्डी शामिल है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कांग्रेस छोड़ने वाले अधिकांश नेताओं ने पार्टी छोड़ने का कारण राहुल गांधी की कार्यप्रणाली बताया था।
गुलाम नबी आजाद: कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय तक इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के साथ सक्रिय रहे और कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय महासचिव, राज्य सभा सदस्य और अन्य बड़े पदों पर काम कर चुके गुलाब नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। कांग्रेस के इस दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने अगस्त 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने अपनी खुद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी बनाई।
नारायण दत्त तिवारी: उत्तर प्रदेश को विभाजित कर उत्तराखंड नया राज्य बना था। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नारायण दत्त तिवारी देश में एकमात्र ऐसे नेता हो सकते हैं जो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों के ही मुख्यमंत्री रहे। दो बार उत्तर प्रदेश के और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वहां के पहले मुख्यमंत्री निर्वाचित होने वाले नारायण दत्त तिवारी 53 साल तक कांग्रेस की राजनीति करते रहे लेकिन 2017 में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का साथ ले लिया।
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एस एम कृष्णा: दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य से आने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने भी जनवरी 2017 में कांग्रेस को बाय-बाय कर दिया और कांग्रेस के अपने लंबे कार्यकाल को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री, सांसद, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल और अन्य बड़े-बड़े पदों पर नवाजा था। लेकिन इसके बावजूद वो भाजपा में गए और कुछ दिनों बाद उन्होंने राजनीति से संयास ले लिया।
विजय बहुगुणा: उत्तर प्रदेश के अपने समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र विजय बहुगुणा उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्होंने भी मई 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाईन कर ली। फिलहाल उनके पुत्र साकेत बहुगुणा उत्तराखंड सरकार में मंत्री और उत्तर प्रदेश की पूर्व मंत्री रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ से भाजपा की सांसद हैं। इस तरह से बहुगुणा परिवार को भाजपा में आने से हर तरफ लाभ मिला।
नारायण राणे: शिवसेना के फायर ब्रांड नेता रहे और बाला साहेब ठाकरे के कट्टर समर्थक माने जाने वाले नारायण राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे और शिवसेना छोड़कर कांग्रेस के बड़े नेता बन गए। लेकिन सितंबर 2017 में उन्होंने भी कांग्रेस को अलविदा कर दिया था। फिलहाल वे केंद्र की मोदी सरकार में पॉवरफुल मंत्री और उनका पुत्र नितेश महाराष्ट्र में भाजपा का विधायक निर्वाचित हुआ है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह: पंजाब में पटियाला रियासत के राजा माने जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर तक चमके और दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे। लेकिन उन्होंने भी नवंबर 2021 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। इसके बाद उवे अपनी लोकल पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी के माध्यम से भाजपा में शामिल हो गए। वर्तमान में वे ज्यादा सक्रिय नहीं हैं।
जगदंबिका पाल: तीन दिन तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता जगदंबिका पाल की भी कांग्रेस में नहीं बनी और मार्च 2014 में उन्होंने कांग्रेस से विदाई ले ली और भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा में शामिल होते ही उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश राज्य से टिकट मिली और वे दो बार से भाजपा सांसद के रूप में निर्वाचित हो रहे हैं।
अशोक चव्हाण: महाराष्ट्र के दो बार मुख्यमंत्री रहे और गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले दिग्गज नेता स्व. शंकरराव चव्हाण के वारिस व स्वयं महाराष्ट्र के दो बार सीएम बनने वाले पूर्व सांसद अशोक चव्हाण ने भी 12 फरवरी 2024 को कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। इसके अगले दिन ही भाजपा में शामिल हो गए। और भाजपा में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा की टिकट का तोहफा दिया और अब वे भाजपा की ओर से राज्य सभा सांसद तो बनेंगे साथ ही मोदी के तीसरे कार्यकाल में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर भी प्राप्त हो सकता है।
किरण कुमार रेड्डी: दक्षिण भारत के एक और राज्य आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में तेलंगाना राज्य में राजनीति कर रहे किरण कुमार रेड्डी ने भी पिछले वर्ष मार्च 2023 में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। उनका 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में तेलंगाना राज्य की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना तय बताया जा रहा है। वर्तमान में वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का हिस्सा हैं।
प्रताप सिंह राणे: 6 बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद तटीय राज्य गोवा के कद्दावर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह राणे ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी और मार्च 2022 में राजनीति से संन्यास ले लिया। लेकिन इसके पूर्व ही उन्होंने अपने बेटे विश्वजीत राणे को भाजपा में स्थापित कर दिया। अभी श्री राणे गोवा की भाजपा सरकार में मंत्री हैं। और बहू देविया राणे भाजपा विधायक हैं।
दिगंबर कामत: गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिगंबर कामत ने सितंबर 2022 में पार्टी छोड़ दी थी। इसके साथ ही अगले दिन वह भाजपा में शामिल हो गए।
लुइजिन्हो फलेरो: गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता लुइजिन्हो फलेरो ने सितंबर 2021 को कांग्रेस को अलविदा कर दिया। इसके बाद वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस छोड़ते वक्त उन्होंने स्थानीय इकाई को कांग्रेस के मूल्यों का कू्रर मजाक करार दिया था।
प्रेमा खांडू: देश में अपनी पूरी सरकार और विधायकों को लेकर कांग्रेस छोड़ने वाले अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक रिकार्ड बनाया था और 2016 में कांग्रेस छोड़ने के बाद 43 विधायकों सहित पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) में शामिल हो गए थे। इसके बाद वे भी भाजपा में शामिल हो गए और वर्तमान में वे अरूणाचल राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
रवि नाइक: गोवा के कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक ने दो बार कांग्रेस का हाथ छोड़ा। पहली बार 2000 में कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, साल 2002 में कांग्रेस में वापसी कर ली थी, लेकिन दिसंबर 2021 में फिर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।
अजीत जोगी: वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ नया राज्य बना था और विधायकों की संख्या के आधार पर छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री भी कांग्रेसी को बनने का अवसर मिला तब रायपुर के पूर्व कलेक्टर और कांग्रेस नेता अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस बनाई लेकिन इसके बाद हर विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को निपटाने का काम किया और भाजपा की सरकार निर्वाचित होने में प्रत्याशित रोल अदा किया।
कमलनाथ : 1980 से मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद रहे कमलनाथ को राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हाराव और मनमोहन सिंह की केंद्र की सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला। 2017 में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने पर उन्हें मुख्यमंत्री पद प्राप्त हुआ लेकिन डेढ़ वर्ष बाद सरकार गिरने पर वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने और पिछले दो चुनाव से वे छिंदवाड़ा सीट से विधायक है। पिछले तीन दिनों में उनका भाजपा में जाना तय हो गया था लेकिन बताया जा रहा है कि सिक्ख दंगों के कथित आरोपी कमलनाथ को भाजपा ने सिक्ख नेताओं के विरोध के बाद भाजपा में शामिल करने में कन्नी काट ली। ऐसा दिल्ली की हलचल बता रही है। अन्यथा वे भी कांगे्रस के 15-16 नामों में होते जो मुख्यमंत्री जैसी बड़ी जिम्मेदारी प्राप्त करने के बाद कांग्रेस छोड़ अन्य दलों में शामिल होते।
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