प्रदेश कांग्रेस ने बढ़ाई जिला कांग्रेस में गुटबाजी
Congress Political News – बैतूल – जिले के राजनैतिक इतिहास में कांग्रेस ने पहली बार जिला संगठन के दो फाड़ करके दो जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की है। यह चुनावी वर्ष है इसलिए प्रदेश कांग्रेस ने संभवत: यह सोचकर की इससे जिले में कांग्रेस संगठन और मजबूत होगा और 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी जिले की पांच विधानसभा सीटों में से अधिकांश पर कांग्रेस का कब्जा हो।
लेकिन राजनैतिक समीक्षकों का ऐसा मानना है कि कांग्रेस संगठन की दो फाड़ करने से जिले में कांग्रेस मजबूती की ओर नहीं वरन गुटबाजी की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है।
2018 से हैं सुनील शर्मा जिलाध्यक्ष | Congress Political News
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के विश्वस्थ सुनील शर्मा को मई 2018 में जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। और अध्यक्ष बनने के 6 माह बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली और पांच में से 4 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव जीत गई।
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और भाजपा में यह माना गया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने में बैतूल जिले की चार सीटें महत्वपूर्ण रही। इसके बाद कई बार सुनील शर्मा को अध्यक्ष पद से हटाए जाने की चर्चा चलते रही लेकिन कमलनाथ से सीधे संपर्क के चलते अंगद के पांव की तरह सुनील गुड्डू शर्मा अध्यक्ष बने रहे।
पहले कार्यवाहक फिर बने ग्रामीण जिलाध्यक्ष | Congress Political News
प्रदेश एनएसयूआई के अध्यक्ष बनकर धमाकेदार राजनैतिक पारी शुरू करने वाले जिले के युवा नेता हेमंत वागद्रे एक बार फिर चर्चा का विषय रहे जब उन्होंने 2013 में बैतूल विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट लाकर अपने वरिष्ठ प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ दिया।
यह बात अलग है कि हेमंत खण्डेलवाल जैसे बड़े नाम के सामने उस समय वह चुनाव में नहीं टिक पाए। लेकिन श्री वागद्रे ने राजनैतिक सक्रियता नहीं छोड़ी। और कांग्रेस के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़चढक़र हिस्सा लेते रहे। इसका इनाम उन्हें कांग्रेस के जिला कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में मिला और उसके कुछ दिनों बाद यह माना जाने लगा कि सुनील गुड्डू शर्मा को हटाकर उन्हें कांग्रेस का पूर्ण कालिक जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। और यह लगभग तय भी हो गया था।
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लेकिन अचानक जिला कांग्रेस में दो फाड़ कर प्रदेश कांग्रेस ने जहां सुनील शर्मा का कार्य क्षेत्र लगभग 30 प्रतिशत कर जिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष बना दिया वहीं हेमंत वागद्रे को भी पूर्ण कालिक जिलाध्यक्ष न बनाते हुए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का जिलाध्यक्ष बना दिया।
महंगी पड़ सकती है लक्ष्मण रेखा खींचना | Congress Political News
प्रदेश कांग्रेस ने जिला कांग्रेस में यह सोचकर तो दो अध्यक्ष बना दिए कि कांग्रेस के दोनों गुटों के बीच में संतुलन हो जाएगा और सभी मिलकर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषित उ मीदवारों को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन लगता है कि प्रदेश कांग्रेस का यह दांव उल्टा पड़ रहा है।
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क्योंकि दो अध्यक्षों की घोषणा होने के बाद शहर और जिले में एक अध्यक्ष के बधाई के जो लैक्स लगे दिखाई दिए उसमें दूसरे अध्यक्ष का फोटो गायब है। इतने से ही यह स्पष्ट हो रहा है कि राजनैतिक मतभेद मनभेद न बन जाए और इसका सीधा -सीधा नुकसान 2023 के विधानसभा चुनाव में हो।
2023 का विधानसभा चुनाव दोनों के लिए हैं महत्वपूर्ण | Congress Political News
2023 का यह वर्ष प्रदेश के राजनैतिक दलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस वर्ष मध्यप्रदेश विधानसभा में नई सरकार चुनी जाएगी और यह आजादी के बाद दूसरा मौका है जब पांच वर्ष के दौरान दो दलों की सरकार ने प्रदेश में राज किया है।
सबसे पहले 1967 में कांग्रेस से टूटकर संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी थी। इसी तरह से 2020 में फिर एक बार कांग्रेस से टूटकर भाजपा की सरकार बनी। इसलिए इस बार का चुनाव दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि विधानसभा चुनाव के 6 महीने के भीतर देश में आम चुनाव होने हैं।
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