Cheetal Ki Maut – बच्चे के बाद मादा चीतल की भी मौत

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वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

Cheetal Ki Mautबैतूल एक मादा चीतल के बच्चे की मौत हो गई थी। दो दिन पूर्व चीतल का रेस्क्यू किया गया था लेकिन इसकी भी मौत हो गई है। यह मादा चीतल पिछले एक पखवाड़े से सारनी के रिहायशी इलाकों में विचरण कर रही थी। जिसे कुत्तों ने घायल कर दिया था। इसकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

गुरुवार 17 अगस्त की रात वन्य प्राणी संरक्षक आदिल खान को सूचना प्राप्त हुई थी कि मादा चीतल सारणी की ट्रिपल स्टोरी के पास घायल अवस्था में घूम रही है।आदिल ने इसकी जानकारी प्रभारी रेंजर एस नायक को दी थी। इसके बाद मादा चीतल का रेस्क्यू किया गया था।

घायल मादा चीतल को वन विश्राम गृह ले जाया गया। जहां पर सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी रुपेश उबनारे के माध्यम से मादा चीतल का इलाज किया है। आदिल ने बताया कि मादा चीतल के जख्म पुराने थे। जिस वजह से उनमें से बदबू आ रही थी और जख्म में कीड़े भी पड़ गए थे। आज इस मादा चीतल की मौत हो गई है। सारनी एसडीओ फॉरेस्ट अजय बहाने ने बताया कि मादा चीतल घायल हो गई थी। इसे रात में रेस्क्यू किया था। जिसने दम तोड़ दिया है। उसे पीएम के लिए बैतूल भेजा है। जिसके बाद उसका सारनी में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

9 अगस्त बुधवार को सारनी में एक हिरण के बच्चे का रेस्क्यू किया था। जिसे जागरूक लोगों ने नाली से निकाल कर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन एक्टिविस्ट आदिल खान के पास पहुंचाया था। जिसके बाद आदिल ने वन विभाग को सूचना दी और बच्चा वन विभाग के सुपुर्द कर दिया था। मादा चीतल और उसके शावक की मौत के मामले में आदिल ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव से शिकायत की है।

आदिल का कहना है कि क्योंकि सारनी में सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इसलिए चीतल के बच्चे को अगले दिन ही वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल पहुंचा देना चाहिए था। परंतु, स्थानीय वन विभाग ने बच्चे को अपने पास ही रखा। इतने दिनों तक उसे यहां सुविधाओं के अभाव में रखना समझ से परे है। चीतल के बच्चे की मृत्यु कहीं ना कहीं है वन विभाग की लापरवाही से हुई है।

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