Biosafety Lab: भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ग्वालियर में देश की सबसे अत्याधुनिक बायोसेफ्टी लैब (बीएसएल-4) स्थापित करने जा रहा है, जो जैविक और रासायनिक खतरों से निपटने में सहायता करेगी। यह लैब अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होगी और इसे भारत की दूसरी बीएसएल-4 लैब के रूप में विकसित किया जाएगा। इस प्रयोगशाला में रक्षा से संबंधित बैक्टीरिया और वायरस पर शोध किया जा सकेगा। डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने रविवार को ग्वालियर के महाराजपुर डांग परिसर में इस लैब की आधारशिला रखी, साथ ही बायो-डिटेक्टर, टेस्ट एंड एवैल्युएशन फैसिलिटी (बीडीटीईएफ) का भी उद्घाटन किया।डॉ. कामत ने कहा कि वर्तमान में रासायनिक और जैविक खतरों की आशंका बढ़ रही है, और कोविड महामारी जैसे संकट भविष्य में फिर से सामने आ सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए हमें रासायनिक और जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लैब
ग्वालियर की यह बीएसएल-4 लैब न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में गिनी जाएगी। इसे विश्व स्तरीय बनाने के लिए डीआरडीई को शिक्षा, उद्योग और अंतरराष्ट्रीय समन्वय पर विशेष ध्यान देना होगा। इस अवसर पर डीआरडीई ग्वालियर के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा सहित कई अन्य प्रमुख वैज्ञानिक, जैसे डॉ. यूके सिंह, डॉ. मनु कोरुला और कर्नल विश्वजीत चौबे भी मौजूद थे।
महामारी और जैव सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
डीआरडीई में 11 से 13 नवंबर तक इंडियन वायरोलॉजिकल सोसाइटी (आईवीएस) द्वारा वायरोकॉन-2024 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होगा। इसमें भारत और अन्य देशों से आए 400 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और विशेषज्ञ महामारी और जैव सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।
source internet साभार…