Betul Politics – एक डॉक्टर जो दो बार लगातार बने विधायक

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2018 के चुनाव में कांग्रेस के क्लीन स्वीप को लगाया था ब्रेक

Betul Politicsबैतूल जिले के इतिहास में वैसे तो प्रोफेशनल्स कम ही राजनीति में आए हैं। इनमें भी इंजीनियर, वकील और कुछ चिकित्सक शामिल हैं जिन्होंने राजनीति में रूचि ली और इनमें कुछ सफल तो कुछ असफल हुए। आज हम बात कर रहे हैं चिकित्सकों की जिसमें लगातार दो बार सफल होने वाले चिकित्सकों में एक एमडी डॉक्टर ने रिकार्ड बनाया है। विधानसभा चुनाव लडऩे का अवसर जिले के कई डॉक्टरों को मिला है। इसके अलावा अन्य कई प्रमुख राजनैतिक पदों पर भी डॉक्टरों ने अपनी धाक जमाई थी।

पहली बार 2018 में जीते डॉ. पंडाग्रे | Betul Politics

2008 और 2013 में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित आमला विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चैतराम मानेकर निर्वाचित हुए। लेकिन 2013 में लगभग 39 हजार मतों के बड़े अंतर से चुनाव जीतने के बावजूद भाजपा ने नया प्रयोग करते हुए इस सीट से उम्मीदवार बदल दिया और जिले के राजनैतिक इतिहास में पहली बार किसी एमडी डॉक्टर को मौका दिया। डॉ. योगेश पंडाग्रे 2018 के चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे और जिले की एकमात्र आमला सीट से भाजपा को विजयी मिली। डॉ. पंडाग्रे 19197 मतों के भारी अंतर से कांग्रेस के मनोज मालवे को पराजित किया था।

दूसरी बार जीतकर बनाया रिकार्ड

डॉ. योगेश पंडाग्रे जहां 2018 में एकमात्र भाजपा विधायक थे वहीं 2023 के चुनाव में पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए आमला सीट से मैदान में उतारा और एक बार फिर उनके सामने कांग्रेस ने मनोज मालवे को मौका दिया। लगातार दो बार किसी चिकित्सक को चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाते हुए डॉ. पंडाग्रे ने इस बार 12118 मतों से मनोज मालवे को पराजित किया। लेकिन इस बार जिले की सभी पांचों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी भी विजयी हुए।

डॉ. साबले ब्रेक में हुए थे दो बार निर्वाचित | Betul Politics

आयुर्वेदिक चिकित्सक रहे डॉ. अशोक साबले 1985 में पहली बार बैतूल विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। लेकिन 1990 में भाजपा के भगवत पटेल ने उन्हें पराजित किया। फिर 1993 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर भाजपा के भगवत पटेल को हराकर दूसरी बार विजयीश्री हासिल करी। लेकिन उन्हें लगातार विधायक बनने का अवसर नहीं मिला।

एक बार दो चिकित्सक भी बने विधायक

1972 में कांग्रेस की टिकट पर बैतूल विधानसभा सीट से नए चेहरे के रूप में कांग्रेस पार्टी ने आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. मारोति राव पांसे को चुनाव मैदान में उतारा और अपने जीवन के पहले ही चुनाव में उन्होंने जनसंघ के उस समय के दिग्गज नेता जीडी खण्डेलवाल को पराजित किया। लेकिन 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर पराजित हो गए। इसी तरह से मुलताई विधानसभा सीट से आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पंजाबराव बोडख़े 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और विधायक बने। लेकिन 1998 में जब कांग्रेस ने उन्हें इसी सीट से टिकट दी तो वे चुनाव हार गए।