मतदाताओं ने दोनों को किया खुश

Betul Political News – बैतूल – जिले की चुनावी राजनीति में दो विधानसभाओं में समय-समय पर हुए चुनाव के परिणामों का विश£ेषण करें तो यह तथ्य सामने आ रहा है कि वर्तमान में निर्वाचित हुए दो भाजपा विधायक अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी से चार बार आमने-सामने चुनाव लड़े हैं लेकिन मतदाताओं ने इन प्रत्याशियों को लगातार सफलता का स्वाद नहीं चखने दिया है। और आल्टरनेट में इन्हें विजयी बनाया है। हम बात कर रहे मुलताई और भैंसदेही विधानसभा सीटों के चार बार के चुनाव परिणामों की।
4 बार चंद्रशेखर-सुखदेव हुए आमने-सामने | Betul Political News

जिले की मासोद विधानसभा सीट से 2003 एवं 2008 से मुलताई विधानसभा सीट के चुनाव में यह देखने में आया है कि कांग्रेस के सुखदेव पांसे और भाजपा से चंद्रशेखर देशमुख चार बार आमने-सामने रहे हैं। जिसमें दो बार सुखदेव पांसे और दो बार चंद्रशेखर विजयी हुए हैं। 2003 में मासोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के सुखदेव पांसे लगभग साढ़े 3 हजार मतों से भाजपा के चंद्रशेखर देशमुख को पराजित कर पहली बार चुनाव जीते थे।
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2008 में भी यही स्थिति रही और मासोद सीट के खत्म होने के बाद दोनों उम्मीदवार मुलताई सीट पर फिर आमने-सामने आए लेकिन इस बार भी पांसे को सफलता मिली। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में मुलताई सीट से चंद्रशेखर देशमुख ने सुखदेव पांसे को 32 हजार वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया। इसी तरह से हाल ही में संपन्न हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के चंद्रशेखर देशमुख 14842 मतों से सुखदेव पांसे को पराजित कर विधायक बने। इस तरह से इस विधानसभाओं में मतदाताओं ने दो बार चंद्रशेखर देशमुख और दो बार सुखदेव पांसे को चुनाव।
4 बार महेंद्र-धरमू आमने-सामने

1998 और 2003 के चुनाव में लगातार भैंसदेही विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत रहे महेंद्र सिंह की जीत की यात्रा 2008 में कांग्रेस के धरमूसिंह ने ब्रेक कर दी और उन्होंने लगभग 7 हजार वोटों चुनाव जीत लिया। लेकिन 2013 में महेंद्र सिंह ने धरमूसिंह से अपनी हार का बदला लिया और 13 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीत लिया। लेकिन 2018 आते-आते फिर धरमूसिंह ने 30880 के रिकार्ड अंतर से महेंद्र सिंह चौहान को दुबारा पराजित किया। लेकिन 2023 के इस विधानसभा चुनाव में महेंद्र सिंह ने एक बार फिर धरमूसिंह ने अपनी हार का बदला लेते हुए 8230 मतों से विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया। इस तरह से मतदाताओं ने आल्टरनेट दोनों उम्मीदवारों को जिताया भी और हराया भी।
आमने-सामने एक बार हारे-जीते | Betul Political News
1990 में बैतूल विधानसभा सीट से भाजपा के भगवत पटेल ने कांग्रेस के दिग्गज अशोक साबले को पराजित किया लेकिन 1993 के चुनाव में अशोक साबले ने अपनी हार का भगवत पटेल से बदला ले लिया। इसी तरह से इसी विधानसभा सीट से 1998 में कांग्रेस के विनोद डागा ने भाजपा के शिवप्रसाद राठौर को हराया लेकिन 2003 के चुनाव में परिणाम उल्टा हो गया। 2018 में भी कांग्रेस के निलय डागा ने भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल को पराजित किया था लेकिन 2023 के चुनाव में हेमंत खण्डेलवाल ने अपनी हार का बदला ले लिया। 1985 के चुनाव में मासोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के रामजी महाजन ने भाजपा के वासुदेव ठाकरे को पराजित किया था लेकिन 1990 के चुनाव में वासुदेव ठाकरे ने रामजी महाजन से अपनी हार का बदला ले लिया और कांग्रेस के इस दिग्गज को पहली बार हार का स्वाद चखना पड़ा था।
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