Betul News : बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही नगर पालिका

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जर्जर भवनों को लेकर नहीं है गंभीर

Betul Newsबैतूल शहर में कई भवन ऐसे हैं जो जर्जर हो चुके हैं और कभी भी गिर सकते हैं लेकिन इन भवनों को लेकर नगर पालिका बैतूल गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। इन जर्जर भवनों को देखकर लगता है कि नगर पालिका बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही है। वहीं कुछ मामले तो ऐसे हैं जहां जर्जर भवनों की रिपोर्ट सामने आने के बाद नगर पालिका ने ऐसे भवनों को गिराने के लिए नोटिस भी दिए लेकिन उसके बाद फाइल को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।

नोटिस देकर भूल गई नपा | Betul News

शहर के अतिव्यस्त चौराहे लल्ली चौक के सामने श्रीराम मंदिर का प्रांगण हैं जिसमें भूतल एवं प्रथम तल पर कई दुकानें संचालित हो रही हैं। इन दुकानों के जर्जर होने पर नगर पालिका परिषद ने पूर्व में श्रीराम मंदिर, श्री शिव मंदिर, श्री राधाकृष्ण मंदिर, पार्वती भवन एकीकृत ट्रस्ट एवं दुकानदारों को नोटिस दिया था। जिसमें इन जर्जर दुकानों को गिराने की बात लिखी गई थी। लेकिन उसके बाद परिषद ने कोई आवश्यक कार्यवाही नहीं करी। इस दौरान इन दुकानों के प्रथम तल पर सामने की छतों की यह हालत हो गई है कि उन्हें लकड़ी की बल्ली से गिरने से बचाना पड़ रहा है। इसके पूर्व दुकानों के ऊपर लगी बिल्सियां भी जर्जर होकर गिर चुकी है। यदि बारिश के दौरान कोई दुर्घटना घटती है तो इसकी जवाबदारी नगर पालिका परिषद की होगी।

तत्काल डिस्मेंटल करें जर्जर भवन

जर्जर भवन को देखकर तो ऐसा लगता है कि इन भवनों को तत्काल प्रभाव से डिसमेंटल करना चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली जनहानि को रोका जा सके। इसके लिए नगर पालिका को आगे आकर सभी दुकानदार और रहवासियों से कंडम हो चुके भवन को खाली कराना चाहिए जिससे की भवन को डिसमेंटल किया जा सके। यदि अचानक दुर्घटना घटित होती है तो इन दुकानदारों में रहने वाले दुकानदार और कर्मचारी भी चपेट में आकर काल कवलित हो सकते हैं।

पीडब्ल्यूडी ने यह दी थी रिपोर्ट | Betul News

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों द्वारा श्रीराम मंदिर के भौतिक निरीक्षण के बाद नगर पालिका परिषद को निरीक्षण प्रतिवेदन सौंपा था। जिसमें यह उल्लेखित है कि इस प्रांगण का भूतल 1939-40 में निर्मित हुआ था। और प्रथम तल का निर्माण 1991-92 में हुआ था। प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेखित है कि भवन की दीवारों पर के्रक, दीवारें कमजोर और प्रथम तल की छत से पानी के रिसाव के कारण छत का लोहा सडऩा, प्रथम तल की सीढिय़ों, बालकनी के कालमों की स्थिति खराब होना, स्लैब का कमजोर होना, बालकनी की रैलिंग क्षतिग्रस्त हैं। और भवन का स्ट्रैक्चर कमजोर प्रतीत होता है और विषम जलवायु परिवर्तन में भवन गिर सकता है।

इनका कहना…

इस संबंध में संबंधित अधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई थी और उन्हें निर्देशित किया गया है कि समय-सीमा में जर्जर भवन गिरवाने के लिए संबंधित लोगों को प्रेरित करें। अगर वह नहीं गिराते हैं तो नगर पालिका की टीम उनको गिराएं और उसका खर्चा संबंधित व्यक्ति से वसूल किया जाएगा।

ओमपाल सिंह भदौरिया, सीएमओ, बैतूल