जहां एक ओर सरकारें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत “हर गांव तक सड़क” का दावा कर रही हैं, वहीं बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का महेंद्रवाड़ी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। यह वही गांव है, जहां के वीर सपूत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरदार विष्णु सिंह के नाम पर जिले का बस स्टैंड और शासकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। बावजूद इसके, गांव की सड़कों की हालत किसी उपेक्षित क्षेत्र से कम नहीं।
कच्चे रास्ते, कीचड़ और कठिनाई:-
महेंद्रवाड़ी के ग्रामीण आज भी जुवाड़ी या घोड़ाडोंगरी पहुंचने के लिए लगभग तीन किलोमीटर कच्चे और दलदली रास्ते से गुजरते हैं। बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है, जिससे स्कूली बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
योजना में नाम, लेकिन जमीनी हकीकत शून्य:-
गांव को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जोड़ने की मांग कई बार उठ चुकी है, लेकिन जिम्मेदार विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि गांव पहले रेलवे फाटक के माध्यम से घोड़ाडोंगरी से जुड़ा हुआ था। अब जबकि रेलवे गेट हमेशा के लिए बंद हो गया है और गांव का संपर्क टूट चुका है, तो भी नई सड़क स्वीकृत नहीं की जा रही।
पड़ोसी गांवों को लाभ, महेंद्रवाड़ी उपेक्षित:-
कान्हावाड़ी ग्राम पंचायत में शामिल गुग्गी चोपन, पिपरी ढाना और अर्जुन गोंदी जैसे ढानों को पहले ही सड़क सुविधा मिल चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ वहां दिया गया जहां आवश्यकता नहीं थी, जबकि वास्तविक ज़रूरतमंद गांव अब भी बुनियादी सुविधा से वंचित है।महेंद्रवाड़ी को योजना के तहत अनदेखा किया गया,
ग्राम पंचायत का नाम, फायदा बिल्डरों को:-
वनवासी कल्याण परिषद के जिला हितरक्षक प्रमुख नरेंद्र उईके का कहना है कि “ग्राम पंचायत के नाम का उपयोग कर एक ऐसी सड़क बनाई गई जो नक्शे में भी नहीं थी। यह सड़क फुलगोहाना जोड़ से बजरंग कॉलोनी तक बनाई गई, जिससे केवल कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा हुआ।” उनका कहना है कि कान्हावाडी में आज भी पुल और पक्की सड़क नहीं है,कई बार तो ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। और बजट अधिक होने के कारण पंचायत स्तर से इस कार्य को अंजाम नहीं दिया जा सकता।
क्या स्वतंत्रता सेनानी का गांव दोहरे मापदंड का शिकार हो रहा है?:-
प्रश्न उठता है कि जब देश आज़ादी के 75 से अधिक वर्ष बाद “विकसित भारत” की ओर बढ़ रहा है, तब एक स्वतंत्रता सेनानी के गांव के साथ ऐसा भेदभाव क्यों? क्या योजनाओं का लाभ सिर्फ राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए दिया जा रहा है?
ग्रामीणों की मांग:-
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि महेंद्रवाड़ी को शीघ्र ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में शामिल कर पक्की सड़क और पुल का निर्माण कराया जाए, ताकि यह ऐतिहासिक गांव भी मुख्यधारा से जुड़ सके।
PMGSY में खर्च हुए करोड़ों, फिर भी सुविधा नहीं:-
गौरतलब है कि 2007 में घोड़ाडोंगरी से महेंद्रवाड़ी तक सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हुआ था। 2015 और 2020 में इसका संधारण भी कराया गया, लेकिन रेलवे गेट बंद होने के बाद विभाग ने कोई वैकल्पिक समाधान नहीं निकाला।