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बैतूल:-प्रिंट रेट से ज्यादा दाम पर बेची जा रही थी शराब, शराब दुकानों पर चस्पा की रेट लिस्ट

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:-

बैतूल:- शहर की शराब दुकानों पर लंबे समय से रेट लिस्ट लगाने की मांग की जा रही थी, रेट लिस्ट के अभाव में दुकानदार सुरा प्रेमियों से मनमाने दाम वसूल रहे थे। सांध्य दैनिक खबरवाणी ने इस मामले की पड़ताल करते हुए शराब दुकानों पर रेट लिस्ट का मामला प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद शराब दुकानों पर रेट लिस्ट चस्पा करने का काम शुरू किया गया।
ग्राहकों की शिकायत थी रेट लिस्ट के अनुसार ही शराब बिक्री की जाना चाहिए, ऐन वक्त पर शराब दुकानदार अड़ीबाजी कर रेट लिस्ट के अनुसार शराब नहीं देते हैं वे मनमाने दाम जरूर वसूल लेते हैं। इधर इस मामले में 15 मई को कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने भी ठेकेदारों को हिदायत दी थी कि प्रिंट रेट से अधिक में और महंगी शराब न बेची। अवैध परिवहन बिक्री पर पूरी तरह कंट्रोल करने का प्रयास करें।

– सुरा प्रेमियों में थी नाराजगी:-

शराब दुकानों पर मनमाने दामों पर बेची जा रही शराब के कारण सुरा प्रेमियों में काफी नाराजगी देखने को मिली थी। वहीं कई सुरा प्रेमियों का कहना तो यहां तक है कि शराब की क्वालिटी में भी अंतर आ गया है। दुकानदार से शिकायत के बाद भी शराब की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है। कई सुरा प्रेमियों का कहना था कि अब शराब की कीमतों की रेट लिस्ट चस्पा कर दी गई है इसी के अनुसार शराब बेची जाए तो ठीक है, क्योंकि कई जगह से शिकायतें आने लगी थी कि रेट लिस्ट के अनुसार शराब नहीं बेची जा रही है।

– हटाने के आदेश के बाद भी चल रही शराब दुकान:-

बैतूल:- लगभग एक माह पूर्व जिला कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी द्वारा रिहायशी इलाके में आंगनवाड़ी से लगी हुई राजेंद्र वार्ड स्थित शराब दुकान को हटाने के आदेश दिए गए थे और इसके बावजूद भी यह दुकान बदस्तूर उसी स्थान पर चल रही है।
खबरवाणी से चर्चा में जिला आबकारी अंशुमन सिंह चढार ने बताया कि इस संबंध में आदेश तो जारी किए गए थे पर अब तक यह दुकान क्यों नहीं हटी इसे मैं दिखवाकर कार्रवाई करता हू।
1. खबरवाणी से चर्चा में गौतम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने बताया कि राजेंद्र वार्ड स्थित शराब दुकान को हटाने के संबंध में कलेक्टर महोदय के यहां से पत्र तो हमें प्राप्त हुआ था पर आगे क्या कार्रवाई हुई मुझे नहीं पता मैं दिखवाता हूं।
जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने ‘मैं दिखवाता हूं’ को अपना ब्रम्ह वाक्य बना लिया है। किसीभी मामले में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन समय पर न कर पाने की ढाल है मैं दिखवाता हूं।

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