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Betul – Bhopal Highway : सुखतवा में एप्रोच रोड का काम तेजी पर, छोटे वाहन निकलने की हुई व्यवस्था 

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बैतूल – दक्षिण से उत्तर को जोडऩे वाला नेशनल हाईवे 69 पर कई ऐसे पुल और पुलियाएं हैं जो अंग्रेजों के समय बने थे उनमें से एक सुखतवा पुल जो 1872 में बना था। रविवार को 138 पहिए के ट्राले पर रखे पॉवर ग्रिड का वजन सहन नहीं कर पाया और ट्राला सहित गिर गया। जिसके बाद नेशनल हाईवे का नागपुर से भोपाल का संपर्क टूट गया। यातायात व्यवस्था को लेकर एसडीएम शाहपुर और एसडीएम इटारसी ने रूट डायवर्ड कर दिया। जिससे टिमरनी, सिवनी मालवा और इटारसी वाले मार्ग पर बड़े वाहनों को निकाला जा रहा है। वहीं कार और बाईक जैसे छोटे वाहनों को सुखतवा गांव के अंदर के रास्ते से निकाला जा रहा है।

एप्रोच रोड का काम तेजी पर

नेशनल हाईवे पर प्रतिदिन करीब 5 हजार वाहन गुजरते हैं। इस मार्ग के बंद होने से यातायात व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए पुल गिरने के कुछ घंटों बाद ही एप्रोच रोड बनाने का कार्य शुरू हो गया था। इटारसी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने बताया कि एप्रोच रोड को लेकर एनएचएआई से चर्चा की गई और फोरलेन सड़क बनाने वाली कंपनी के ठेकेदार को निर्देश दिए गए हैं कि तत्काल एप्रोच रोड बनाई जाए। शाम तक काम शुरू होने के बाद उसमें तेजी नहीं दिखाई देने पर होशंगाबाद कलेक्टर ने आर्मी की भी मदद ली है। आर्मी के अधिकारी भी आज मौके पर पहुंचे हैं।

घटना की जांच कर रही पुलिस

हैदराबाद से एटीपीसी इटारसी के लिए 138 पहिए के ट्राले पर सवार होकर ले जाई जा रही पॉवर ग्रिड जैसे ही सुखतवा पुल पर पहुंची। अचानक पॉवर ग्रिड सहित ट्राला पुल के टूटने से ग्रिड सहित नदी में गिर गया। इस मामले में केसला टीआई गौरवसिंह बुंदेला का कहना है कि घटना के दौरान ड्राइवर सहित 6 लोग ट्राला पर मौजूद थे जिसमें ड्राइवर को हल्की चोटें आई हैं, उसका उपचार कराया गया है। पुलिस घटना की जांच कर रही है। जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

एनएचएएआई की लापरवाही आई सामने

नेशनल हाईवे अर्थाटी ऑफ इंडिया की लापरवाही इस घटना से सामने आई है। जानकार बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत के जमाने में बने किसी भी पुल पर एनएचएआई ने सांकेतिक बोर्ड या सूचना पटल नहीं लगाए हैं कि यह पुल कितना भार सहन कर सकते हैं? यही वजह है कि इन पुलों पर से मनमाना वजन ट्रालों में लोड कर परिवहन किया जाता है? ऐसा ही सुखतवा पुल पर भी हुआ।

138 पहिए का ट्राला और करीब 37 टन का पॉवर ग्रिड मशीन का वजन पुल सहन नहीं कर पाया और भरभराकर ढह गया। गनीमत रही कि इस दुर्घटना में कोई भी जनहानि नहीं हुई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो एनएचएआई को ऐसे पुराने पुलों पर यह सूचना पटल लगाना चाहिए कि इन पर से कितने वजन के वाहन सामान लेकर गुजर सकते हैं। इस मामले में भी एनएचएआई की लापरवाही स्पष्ट उजागर हुई है।

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