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Barseem Ki Kheti – खेत में लगाएं ये फसल पशुओं के लिए चारा और जमीन के लिए है गुणकारी

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यहाँ जाने कटाई की प्रक्रिया

Barseem Ki Khetiआजकल पशुपालन से लोग रोजगार और आर्थिक संभावनाएं देख रहे हैं। पशुओं के लिए अच्छा ग्रास और पौष्टिक भोजन उनकी सेहत के लिए आवश्यक है, और इससे किसानों को भी फायदा होता है। इस प्रकार, बरसीम की खेती किसानों के लिए उपयुक्त हो सकती है, विशेषकर जब देश में दूध की मांग बढ़ रही है। बरसीम एक जल अर्ध फसल है जिसे रबी मौसम में उगाया जा सकता है। यह घास, सही सिंचाई के साथ, नवंबर से मार्च तक बार-बार काटी जा सकती है। इसका मुख्य गुण है कि यह मीठा होता है और पशुओं को अच्छा भोजन प्रदान करता है।

बरसीम से होने वाला लाभ | Barseem Ki Kheti

बरसीम की खेती का एक और लाभ यह है कि इसे एक प्रकार की हरी खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। जब इसे किसी खेत में बोया जाता है, तो उस भूमि के प्राकृतिक और रासायनिक गुणों में सुधार होता है। इसमें प्रोटीन और फाइबर के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। इसकी खेती ठंडी मौसम के लिए अधिक उपयुक्त मानी जाती है, इसलिए उत्तर भारत के मौसम में इसे बुआई के लिए चुना जाता है। उसकी उचित बुआई और पोषण के लिए लगभग 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान माना जाता है और इससे अच्छा उत्पादन होता है। इसलिए, पंजाब, हरियाणा, और यूपी में इसकी खेती अक्टूबर महीने में की जाती है।

बरसीम की बेहतर किस्म

बरसीम की खेती में अधिक उत्पादकता के लिए सही प्रकार की प्रजातियों का चयन करना आवश्यक है। इस खेती के लिए कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं जैसे पूसा जायन्ट, वीएल-180, टाइप-526, 768, और 780। अतिरिक्त विकल्प के रूप में, किसान लुधियाना, बुंदेल-2, और मिस्कावी जैसी अन्य प्रजातियों को भी चुन सकते हैं। बरसीम के लिए अच्छी जल-निकास मिट्टी की जरूरत होती है, लेकिन खारी मिट्टी पर भी इसकी खेती की जा सकती है। सही तरीके से खेत की तैयारी के बाद, बीजों को बोने से पहले उन्हें उचित दवाइयों से संवर्धन देना चाहिए। राइजोबियम जैसी दवाओं का प्रयोग कर, बीजों को सूखने के बाद बोने से पहले इसे तैयार करें।

किस तरह से करें बुवाई | Barseem Ki Kheti

बरसीम के बीज की सही बुवाई के लिए प्रति एकड़ 10 किलोग्राम की दर से बुवाई करें। बुवाई के समय, क्यारी में पानी को 4 से 5 सेमी तक की गहराई तक भरें और खेत को भीगा दें। अगले दिन, भीगे हुए बीजों को छोटे क्यारियों में रखकर पानी डालें और इसके बाद बीज को बोएं। इस प्रक्रिया को शाम के समय या जब हवा शांत हो, वह समय चुनकर करें। बरसीम के खेत की तैयारी के लिए, एक महीना पहले खेत में प्रति एकड़ चार से पांच टन गोबर खाद का इस्तेमाल करें। खेत की अंतिम जुताई के समय, प्रति एकड़ आठ किलोग्राम नाइट्रोजन और 32 किलोग्राम फास्फोरस का इस्तेमाल करें।

सिंचाई और खरपतवार

बरसीम के खेत में, हल्की मिट्टी वाले खेतों में 3 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें, जबकि भारी मिट्टी वाले खेतों में 6 से 8 दिनों के बीच में सिंचाई का अभ्यास करें। सर्दियों में, पानी का अंतराल 10 से 15 दिनों का होना चाहिए और गर्मियों में 8 से 10 दिनों का अंतराल बनाएं। खेती के दौरान, कीट प्रबंधन में विशेष महत्व है। इसे नियंत्रित करने के लिए, 200 लीटर पानी में 400 मिलीग्राम फ्लूक्लोरालिन मिलाकर प्रति एकड़ पर छिड़काव करें। और, जब किसी खेत में पत्थरचट्टानी की समस्या हो, तो वहां बरसीम और राया का संयोजन करके बुवाई करें, जो कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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