Bakri Palan – बकरी पालने वाले इस तरह से साल भर रखें अपने जानवरों का ख्याल 

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Bakri Palan – भेड़ों-बकरियों का संबंध प्राचीन काल से ही मनुष्यों से रहा है। भेड़ पालन का प्रचलन हिमाचल और अन्य पहाड़ी इलाकों के जनजातीय क्षेत्रों के निवासियों के बीच प्राचीन व्यवसाय है। वहीं, बकरी पालन का काम मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में किया जाता है। किन्नौर, लाहौल-स्पीति, भरमौर, पांगी, कांगड़ा और मंडी के जनजातीय क्षेत्रों के लोग मुख्य रूप से भेड़ पालन पर निर्भर रहे हैं। भेड़ पालकों को भेड़ से ऊन और मांस मिलता है और भेड़ की खाद भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती है।

भेड़ें कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि पर चरती हैं, कई खरपतवार और अनावश्यक घास का उपयोग करती हैं, और अधिक ऊंचाई पर स्थित चरागाहों का उपयोग करती हैं। भेड़ पालकों को हर साल भेड़ से मेमने मिलते हैं, जो व्यावसायिक रूप से किसानों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।

बकरी पालन भी मुख्य रूप से बकरी के दूध, मांस, और खाल के लिए किया जाता है। किसानों को ध्यान देना चाहिए कि उन्हें भेड़ों-बकरियों के खान-पान का उचित ख्याल रखना चाहिए, ताकि उनकी सेहत अच्छी बनी रहे।

फरवरी से मार्च | Bakri Palan 

इस मौसम में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। सरसों और चने के खेत खाली हो जाते हैं, जिनका उपयोग भेड़ और बकरियों को चराने के लिए किया जा सकता है। भेड़-बकरियां गर्मी में आने लगती हैं। इस मौसम में फड़किया रोग का प्रकोप शुरू हो जाता है, इसलिए सभी पशुओं को टीका लगवाना चाहिए। बेहतर होगा कि ऊन काटने के 8-10 दिन बाद भेड़ को वाड सीथियन के 0.05 प्रतिशत घोल से नहलाया जाए, ताकि जूं, किलनी, और अन्य बाहरी परजीवी मर जाएं।

अप्रैल से जून 

गर्मी के कारण चारा सूख जाता है; लेकिन गेहूं और जौ की फसल कटने के कारण भेड़-बकरियां खाली खेतों में आसानी से चर सकती हैं। कुछ स्थानों पर खेजड़ी और वावुल की पत्तियाँ इन जानवरों के लिए भोजन के रूप में भी काम आती हैं और गर्मियों में उन्हें लाने में मदद करती हैं। इस मौसम में चराने के साथ-साथ पूरक विटामिन भी देना चाहिए, अन्यथा भेड़-बकरियों के शरीर का वजन कम होने लगता है।

जुलाई से अगस्त | Bakri Palan 

वर्षा ऋतु के आने पर घास और हरे चारे की अधिक उपलब्धता के कारण गर्भवती मादाओं को अच्छा भोजन मिलता है और वर्षा ऋतु के अंत तक मेमनों का जन्म होने लगता है। इस मौसम में भेड़-बकरियों को आंतरिक परजीवियों से बचाने और खुर सड़न से बचाने के लिए दवा देनी चाहिए।

सितम्बर से अक्टूबर 

इस मौसम में भेड़ों का ऊन कतरना उचित होगा। खराब भेड़-बकरियों को छांटकर झुण्ड से अलग कर दिया जाना चाहिए। शरद ऋतु में मेमने भी पैदा होते हैं और दूध छुड़ाई हुई भेड़-बकरियाँ भी गर्भवती हो जाती हैं। ख़रीफ फ़सलों की कटाई के बाद ख़ाली पड़े खेतों में चराई के लिए यह उपयुक्त समय है।

नवंबर से जनवरी | Bakri Palan 

मिट्टी में नमी की कमी के कारण घास सूखने लगती है और चारे की कमी हो जाती है। भेड़-बकरियों को सूखी घास, करेला, और पाला आदि खिलाना उत्तम होगा। छोटे मेमनों को सर्दी के प्रकोप से बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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