इसे पालने वाले हो जाते हैं मालामाल
Bakri Palan – देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मुख्य आय का स्रोत खेती-किसानी और पशुपालन है, जिससे वे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। पशुपालन कार्य जमा पूंजी के समान है, जो निरंतर लाभ प्रदान करता है। कुछ लोग गाय-भैंस पालते हैं, जबकि अन्य लोग मुर्गी, सूअर और बकरी पालते हैं। हाल के वर्षों में बकरी पालन की मांग में वृद्धि देखने को मिल रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र से लोग बकरी पालकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। व्यावसायिक रूप से, कई नस्लों में बकरी उत्पन्न की जाती है, जिनमें से एक अत्यधिक लोकप्रिय नस्ल बरबरी है। बरबरी बकरी अपने उच्च गुणवत्ता के मीट के लिए जानी जाती है, जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए इसकी बाजार में अधिक मांग होती है। इस नस्ल की बकरी का पालन करके पशुपालक धनी बन सकते हैं।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});पोषक तत्वों से भरपूर | Bakri Palan
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बरबरी नस्ल की बकरी बहुत ही महंगी होती है क्योंकि इसका मांस पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसकी वजह से इसे बाजारों में उच्च दामों में बेचा जा सकता है। इस नस्ल की बकरी का रंग सफेद होता है और शरीर पर लाल रंग के धब्बे होते हैं, जिसके कारण यह दूर से देखने पर हिरण की तरह लगती है। इसके कान और सींग छोटे आकार के होते हैं और यह हर 15 महीने में दो बार बच्चे देती है।
बकरी की विशेषता
इस नस्ल की बकरी की विशेषता है कि बारिशी महीनों में इसकी दूध उत्पादन में वृद्धि होती है, जबकि अन्य पशुओं में उस समय दूध का उत्पादन कम हो जाता है। इसलिए यह बकरी मानसून के महीनों में अधिक लाभकारी होती है। यह रोजाना लगभग एक से दो लीटर तक दूध देती है। मानसून में नीम के पत्ते अधिक देखने को मिलते हैं, और इस बकरी ने उन्हें अधिक से अधिक खाते हैं, जो इसके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
डेंगू के मरीजों के लिए औषधि | Bakri Palan
बरबरी नस्ल की बकरी का दूध डेंगू के मरीजों के लिए एक प्रकार से औषधि का काम करता है क्योंकि इसका दूध डेंगू के मरीजों के प्लेटलेट्स बढ़ाने में कारगर होता है। इसीलिए इसका दूध बाजार में प्रति लीटर 200 रुपये से 300 रुपये तक बिकता है। इस नस्ल की बकरी का रखरखाव भी सरल होता है, जबकि इसे साधारण आहार ही पर्याप्त माना जाता है।
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