Assembly session: मध्यप्रदेश विधानसभा में सत्रों की संख्या घटने और खर्चों में बढ़ोतरी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बीते दो दशकों के आंकड़ों के अनुसार, कई बार सत्र को दिनों तक चलने की योजना बनाई गई, लेकिन वास्तविकता में सत्र केवल घंटों में खत्म हो गए। उदाहरण के लिए, 1 से 15 जुलाई 2023 तक प्रस्तावित 5 दिन का सत्र मात्र ढाई घंटे ही चला। इसी तरह, 16 मार्च से 13 अप्रैल तक चलने वाला सत्र केवल 17 मिनट में समाप्त हो गया, जिसमें कमलनाथ सरकार गिर गई थी।अब शीतकालीन सत्र की घोषणा हो चुकी है, जो 16 से 20 दिसंबर तक प्रस्तावित है। बड़ा सवाल है कि यह सत्र पूरे समय चलेगा या नहीं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा अनुपूरक बजट पेश कर सकते हैं। हालांकि, यह देखा गया है कि विधानसभा का बजट तो बढ़ता जा रहा है, लेकिन सत्रों की अवधि घट रही है, जिससे जन समस्याओं पर चर्चा सीमित हो रही है।
सत्र के दौरान खर्च:विधायकों को सत्र के दो दिन पहले से ही भत्ता (1500 रुपए प्रतिदिन) मिलना शुरू हो जाता है।सरकारी विभागों का कार्य और सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती।लंच, यात्रा कूपन, और अन्य सुविधाओं पर खर्च।विधानसभा कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन।बिजली, सत्कार और अन्य व्यवस्थाओं पर व्यय।विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव ईसरानी ने तंज कसते हुए कहा कि सत्रों को आउटसोर्स कर देना चाहिए, जबकि विधानसभा स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने सत्र को आवश्यकता अनुसार चलाने का आश्वासन दिया है, ताकि जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में रख सकें।
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