सनातन धर्म में हरितालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. उत्तर भारत के कई राज्यों में यह व्रत बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और परिवार की खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना से इस व्रत का पालन करती हैं. अगर आप पहली बार हरितालिका तीज का व्रत रखने जा रही हैं, तो आपको जानना जरूरी है कि इस दिन पूजा कैसे करनी है और कौन-कौन से नियमों का पालन करना आवश्यक है.
क्यों मनाते हैं हरितालिका तीज
इस बार हरतालिका तीज 26 अगस्त को शुक्ल पक्ष भाद्रपद की तृतीया तिथि में पड़ रही है. पंडित जी ने इस व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत किया था. पंडित जी ने कथा बताते हुए कहा कि माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और उन्हीं से विवाह करने का संकल्प लिया था, लेकिन हिमालय राज ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया. यह जानकर पार्वती जी बहुत व्यथित हो गईं. अपने मन की पीड़ा किसी से साझा न कर पाने पर, वह अपनी सखी की सहायता से घर से निकलकर वन में चली गईं. वहां उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए गहन तपस्या शुरू की. पार्वती जी ने तप के दौरान भीषण सर्दी, गर्मी और वर्षा के कष्ट सहन किए और अन्न-जल का त्याग कर दिया. उनकी इस अटूट श्रद्धा और कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया.
क्या कन्याएं कर सकती है हरितालिका तीज
आमतौर पर देखा जाता है हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं करती है, लेकिन पंडित जी ने बताया कि यह व्रत सुहागन महिलाएं वह अविवाहित कन्याए भी कर सकती है. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र पाने के लिए इस व्रत को करती है तो वहीं कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को करती है.
पहली बार रख रहीं है व्रत तो ये बातें जानना जरूरी
हरितालिका तीज व्रत को सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं जल तक ग्रहण नहीं करतीं. यह निर्जला व्रत होने के कारण हर कोई इसे निभा नहीं पाता. इसलिए जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें पहले से ही मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना चाहिए. व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले होती है. महिलाएं स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती व श्री गणेश की पूजा-अर्चना करती हैं. पूजा के समय मूर्तियों का जल, पुष्प, धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फल और मिठाई से विधिवत पूजन किया जाता है.
हरितालिका तीज व्रत के नियम
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी जल सहित कोई भी तरल पदार्थ ग्रहण नहीं किया जाता.
व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जप करना शुभ माना जाता है.
व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करने के पश्चात किया जाता है.
पारण से पहले भगवान को भोग अर्पित किया जाता है, फिर महिलाएं जल और फल ग्रहण करती हैं.
पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना गया है.
इस व्रत के दौरान महिलाओं को बुरे विचार, क्रोध और अशुद्ध कर्मों से बचना चाहिए.पंडित जी ने बताया कि इस व्रत में पवित्रता को ज्यादा महत्व दिया जाता है. ऐसे में जो माता, बहने मासिक धर्म में हो उन्हें यह व्रत न करने की सलाह दी जाती है. अगर वह व्रत कर रही है तो पूजा करने से बचें और साफ सफाई का विशेष ध्यान दें.