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अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ भारत दौरे पर, राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

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नई दिल्ली। अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकाल्वेस लौरेंको शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे। यह 38 वर्षों में अंगोला के किसी राष्ट्रपति की पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा है।

चार दिवसीय इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देना है। हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति लौरेंको का विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें कई मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और प्रमुख व्यापारिक घरानों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स को लिखा, “अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकाल्वेस लौरेंको का राजकीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचने पर हार्दिक स्वागत है। राष्ट्रपति के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें कई मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और व्यापारिक घराने शामिल हैं। आगमन पर राष्ट्रपति का विशेष स्वागत किया गया और राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।”

मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर स्वागत संदेश साझा करते हुए कहा, “भारत की राजकीय यात्रा पर आए अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकाल्वेस लौरेंको का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है।” यह महत्वपूर्ण यात्रा भारत और अंगोला के बीच राजनयिक संबंधों की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह 1986 के बाद से अंगोला के किसी राष्ट्रपति की पहली भारत यात्रा है।

राष्ट्रपति लौरेंको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ अलग-अलग बैठकें करेंगे। 3 मई को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में उनका औपचारिक स्वागत किया जाएगा, उसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगी। वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की चर्चा भी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों और समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।”

4 मई को राष्ट्रपति लौरेंको नई दिल्ली में एक व्यावसायिक कार्यक्रम में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में तेल, गैस, बुनियादी ढांचे, कृषि और खनन जैसे क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों के एक साथ आने की उम्मीद है।

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