अगर आप खाते हो सफ़ेद चावल तो जान ले इसके बारे में हो जाये सावधान।

अगर आप खाते हो सफ़ेद चावल तो जान ले इसके बारे में हो जाये सावधान।

White Rice: चावल का इस्‍तेमाल दुनियाभर में डेली डाइट के रूप में किया जाता है. यह एक वर्सेटाइल फूड है जिसे कई तरह से पकाया जाता है और डाइट में शामिल किया जाता है. यह आसानी से किसी भी अन्‍य मसालों या फ्लेवर वाली चीजों के साथ मिल जाता है और इस वजह से इसे हर जगह अलग अलग स्‍टाइल में बनाया जाता है. लेकिन अगर इसके हेल्‍थ से जुड़ी बातों के बारे में बात करें तो यह कई तरह से सेहत को फायदा भी पहुंचाता है और नुकसान भी. के मुताबिक, सफेद चावल रिफाइंड ग्रेन है जिसे ब्राउन राइस की तुलना में कम हेल्‍दी माना जाता है. यह भी माना जाता है कि इसमें बैड कार्ब होता है जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है. तो आइए आज हम आपको चावल के बारे में कुछ सरप्राइज करने वाले फायदे और नुकसान के बारे में बताते हैं.

अगर आप खाते हो सफ़ेद चावल तो जान ले इसके बारे में हो जाये सावधान।

सफेद चावल के साइड इफेक्‍ट्स

अधिक कैलोरी
सफेद चावल कैलोरी का सबसे बड़ा सोर्स होता है. कैलोरी हमारे शरीर के अंगों को बेहतर तरीके से एनर्जी देने का काम करती है.  इसके अलावा इसमें कई अन्‍य न्‍यूट्रिशनल तत्‍व होते हैं जो एनर्जी को बढ़ाने का काम करते हैं. फॉलेट को छोड़कर इसमें विटामिन बी के हर रूप पाए जाते हैं जो सेल्‍स के अंदर एनर्जी ले जाने का काम करता है. इसलिए अगर आप अधिक चावल का सेवन करेंगे तो आपके मेटाबॉलिज्‍म और हेल्‍थ को नुकसान भी पहुंच सकता है.

आर्सेनिक कर सकता है नुकसान
चावल में आर्सेनिक पाया जाता है जिसे अगर आप अधिक खाएं तो ये आपके हेल्‍थ को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि ब्राउन राइस की तुलना में वाइट राइस में कम आर्सेनिक पाया जाता है. वैसे चावल में आर्सेनिक कितना है यह चावल के वेरायटी पर भी निर्भर करता है. जैसे बासमती राइस और जापानीज सूशी राइस में आर्सेनिक की मात्रा कम होती है.

बोन्‍स को बनाता है मजबूत
चावल में मैग्‍नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो बोन्‍स का फ्लेक्सिबल बनाने और मजबूत रखने में मदद करता है. इसलिए आप सही मात्रा में अगर चावल का सेवन करें तो बोन फ्रेक्‍चर की संभावना कम रह सकती है.

मेटाबॉलिक सिंड्रोम
शोधों में पाया गया है कि सफेद चावल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का आपस में कुछ कनेक्‍शन रहता है. जो हार्ट डिजीज, हार्ट स्‍ट्रोक और टाइप टू डायबिटीज की वजह हो सकता है. यह शरीर में हाई कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड प्रेशर बढ़ाने का काम भी करता है.

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