Ayushman card: कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी, खासकर उन अस्पतालों की, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत कोविड का इलाज कर रहे थे। लेकिन महामारी का प्रकोप कम होते ही, कई अस्पताल खाली हो गए और उनमें से कई ने आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करना भी बंद कर दिया। इसका मुख्य कारण यह था कि योजना के तहत मिलने वाले पैकेज का लाभ कम था।
अब मध्य प्रदेश में 124 अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से डिइम्पैनल्ड कर दिया गया है, यानी इन अस्पतालों में अब आयुष्मान कार्डधारकों को इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी। इनमें से 50 से ज्यादा अस्पताल भोपाल के हैं। ये अस्पताल अब योजना के तहत इलाज नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने या तो योजना के नियमों का पालन नहीं किया या फिर उन्हें सस्पेंड किए जाने के बाद मान्यता बहाल नहीं करवाई।
केंद्र सरकार की सख्ती और लिस्ट:
केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को 343 अस्पतालों की एक सूची भेजी थी, जिनकी मान्यता सस्पेंड थी। जांच के बाद पाया गया कि इनमें से 124 अस्पताल मानकों पर खरे नहीं उतरे और उन्हें पूरी तरह डिइम्पैनल्ड कर दिया गया। इनमें से अधिकांश अस्पताल 50 बिस्तरों से कम वाले हैं, जिन्हें नए नियमों के तहत योजना से बाहर किया गया है।
कारण और सरकार की कार्रवाई:
- महामारी के दौरान कई अस्पतालों की शिकायतें मिलीं कि वे आयुष्मान योजना के तहत मरीजों से निर्धारित दरों से अधिक चार्ज कर रहे थे।
- कुछ अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करना ही बंद कर दिया था, क्योंकि उन्हें मेडिकल पैकेज में पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा था।
- सरकार का यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि गुणवत्तापूर्ण सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें और योजना का लाभ सही तरीके से मरीजों तक पहुंचे।
अस्पतालों के लिए आगे की राह:
आयुष्मान भारत योजना के सीईओ डॉ. योगेश भरसट के अनुसार, यह फैसला उन अस्पतालों को बनाए रखने के लिए किया गया है, जो नियमों का पालन करते हैं और मरीजों को बेहतर सेवाएं देते हैं। डिइम्पैनल्ड किए गए अस्पताल अब कमियां दूर कर नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं और योजना में दोबारा शामिल हो सकते हैं। इस कदम से यह स्पष्ट है कि सरकार योजना की पारदर्शिता और सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठा रही है, ताकि आयुष्मान कार्डधारकों को सही और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।
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