एक बार की लागत में तीन बार होगा फलन
Mushroom Ki Kheti – भारत में अब मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है। पहले यह सिर्फ शहरी लोगों तक ही सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच चुका है। आजकल इसके बिना किसी भी भोजन को पूरा नहीं माना जाता है।
मशरूम कई प्रकार के होते हैं, और भारत में किसान सफेद बटर मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम उगा रहे हैं जो अच्छी कमाई के लिए जाने जाते हैं।
अच्छी वैरायटी का करें चयन | Mushroom Ki Kheti
आपको चाहिए कि मशरूम की खेती के लिए वे किस्में चुनें, जो कम समय में ही अच्छा मुनाफा दे सकें। साथ ही, नजदीकी बाजार में मांग के हिसाब से भी मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। इस समय पूरी दुनिया में 70 प्रकार के कृषियोग्य मशरूम मिलते हैं।
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हालांकि, भारत में अच्छे और मोटे मुनाफे के लिए सफेद बटर मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम की विविधा किस्में उगाई जा रही हैं।
खेती के लिए मिट्टी की नहीं जरूरत
मशरूम की खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं होती, बल्कि प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, धान और गेहूं का भूसा इसे उगाने के लिए काफी होता है। अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले छोटी जगह पर शेड़ लगाकर उसे लकड़ी और जाल से कवर करके उदाहरण के तौर पर ऐसा करके देख सकते हैं।
वहीं अगर आप इसे घर में उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलाकर रखें। फिर कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज डालें और इसमें छोटे-छोटे छेद कर दें, इन छेदों की मदद से मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल आएंगे।
इस बात का रखें ध्यान | Mushroom Ki Kheti
हालांकि, इस बात का आपको खास ध्यान रखना होगा कि बीज डालने के 15 दिनों तक शेड में हवा न लगे। फिर बुआई के 15 दिन बाद शेड में पखें लगा दें और हवा का प्रवाह होने दें। इसके बाद 30-40 दिनों तक मशरूम की फसल को पकने दें।