Political News – 56 साल बाद एक साथ दोनों दलों में नए चेहरे मैदान में

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घोड़ाडोंगरी विधानसभा में होगा कांटे का मुकाबला

Political Newsबैतूल चुनावी राजनीति में यह देखा गया है कि यदि कोई नया प्रत्याशी निर्वाचित हो जाता है तो पांच वर्ष के कार्यकाल में उसकी बुराई-भलाई बढ़ जाती है और इसी को राजनैतिक भाषा एंटी इंकमबैंसी भी कहा जाता है।

बैतूल जिले की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट पर 1967 के बाद पहली बार प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने जिन प्रत्याशियों की घोषणा की है वे दोनों ही अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों ही इस क्षेत्र से नए उम्मीदवार हैं। चूंकि दोनों नए उम्मीदवार है इसलिए राजनैतिक हल्कों में यह माना जा रहा है इस सीट पर चुनावी मुकाबला कांटे का होगा।

56 साल से रिपीट होते रहा एक उम्मीदवार | Political News

1962 में इस सीट पर पहला चुनाव हुआ था। और शुरू से ही अभी तक हर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा (जनसंघ/जनता पार्टी) के बीच होता रहा है। 1962 में जंगू सिंह और साधुराम लड़े, 1967 में माडू सिंह और साधुराम, 1972 में जंगू सिंह और विश्राम सिंह मवासे, 1977 में जंगू सिंह और विश्राम सिंह, 1980 में विश्राम सिंह और रामजीलाल उइके, 1985 में रामजीलाल और मीरा धुर्वे,1990 में रामजीलाल और हर्षलता सिबलून, 1993 में रामजीलाल और प्रताप सिंह उइके,1998 में पुन: रामजीलाल और प्रताप सिंह उइके, 2003 में प्रताप सिंह और सज्जन सिंह उइके, 2008 में प्रताप सिंह और गीता उइके, 2013 में सज्जन सिंह और ब्रम्हा भलावी, 2016 के उपचुनाव में मंगल सिंह धुर्वे और प्रताप सिंह एवं 2018 में पुन: ब्रम्हा भलावी और गीता उइके चुनाव लड़े। इस तरह से इन 56 वर्षों में हर चुनाव में एक प्रत्याशी दुबारा रिपीट हुआ है। इस तरह से दोनों नए प्रत्याशी कभी भी एक साथ मैदान में उतरे।

भाजपा ने दिया गंगाबाई उइके को मौका

2003 और 2013 में घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए स्व. सज्जनसिंह उइके की पत्नी गंगाबाई उइके को भरोसा था कि उन्हें 2018 में चुनाव में टिकट मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनके पति स्व. सज्जनसिंह उइके की असामयिक मृत्यु के बाद राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाया गया और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।

2018 में टिकट नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने पार्टी के प्रति असंतोष जाहिर नहीं किया और निरंतर क्षेत्र में सक्रिय रही। 2023 के विधानसभा चुनाव में अंत तक यह चर्चा जोरों पर थी कि 2016 के उपचुनाव मेंं निर्वाचित हुए मंगलसिंह धुर्वे को टिकट मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और नए उम्मीदवार के रूप में गंगाबाई उइके को भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

कांग्रेस ने भी युवा राहुल पर लगाया दांव | Political News

लंबे समय से घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में युवा कांग्रेसी के रूप में कार्य कर रहे राहुल उइके विधानसभा क्षेत्र के युवक कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद राहुल उइके जिला पंचायत सदस्य भी निर्वाचित हुए। पूर्व मंत्री एवं क्षेत्र के दो बार विधायक निर्वाचित हुए प्रतापसिंह के भतीजे राहुल पिछले जनपद के चुनाव में घोड़ाडोंगरी जनपद के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।

और पिछले दो चुनाव से राहुल उइके इस विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनने के लिए प्रयासरत थे लेकिन पार्टी ने मौका नहीं दिया और 2018 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर रिकार्ड 17 हजार 600 मतों से चुनाव जीतने वाले ब्रम्हा भलावी की टिकट काटकर नए उम्मीदवार के रूप में राहुल उइके को अवसर दिया।

कांग्रेस-भाजपा दोनों में थे कई दावेदार

एक तरफ जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस विधानसभा सीट से नए उम्मीदवारों को अवसर दिया है वहीं दोनों दलों के अन्य दावेदार निराश भी हुए हैं। कांग्रेस में जहां सीटिंग एमएलए ब्रम्हा भलावी अपनी टिकट कटने से बैचेन नजर आए वहीं पार्टी की टिकट के अन्य दावेदारों में डॉ. रमेश काकोड़िया, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा पेंद्राम एवं घोड़ाडोंगरी जनपद उपाध्यक्ष ज्ञानू सिंह परते को निराशा हाथ लगी।

इसी तरह से भाजपा में भी उपचुनाव जीते मंगलसिंह धुर्वे के अलावा पूर्व विधायक रामजीलाल उइके के पुत्र दीपक उइके और पूर्व विधायक गीता-रामजीलाल उइके भी टिकट की आस लगाए हुए थे। लेकिन अंतिम क्षणों में इन्हें में असफलता मिली।

जिले की सबसे बड़ी है विधानसभा | Political News

घोड़ाडोंगरी विधानसभा जिले की सबसे बड़ी विधानसभा मानी जाती है और जिस तरह से चुनाव आयोग ने इस बार नाम वापसी और प्रचार बंद होने के बीच उम्मीदवारों को मात्र 12 दिनों का मौका दिया है उसके चलते इस सीट के दोनों नए उम्मीदवार इस विधानसभा के सभी गांवों का दौरान नहीं कर पाएंगे। क्योंकि होशंगाबाद जिले की सीमा से लगने वाले इस विधानसभा सीट का दूसरा छोर हरदा जिले की सीमा को छूता है। और घोड़ाडोंगरी, शाहपुर, बीजादेही, भौंरा, चिचोली, मलाजपुर, कटकूही गवासेन, पाढर, केसिया, चूड़िया, फोफल्या जैसे दूरस्थ अंचल इसी विधानसभा में शामिल है।