ग्रामीणों ने चट्टान रस्सी के सहारे बच्चों को बचाया
बैतूल – Nadi Me Fase Bachhe – स्कूल से घर आते समय मोरंड नदी पार कर रहे स्कूली बच्चे जैसे ही नदी के बीच में पहुंचे अचानक बाढ़ का पानी बढ़ गया और बच्चे नदी में स्थित पत्थर पर चढ़ गए। जब इस बात की सूचना ग्रामीणों को मिली तो उन्होंने रस्सी के सहारे सभी बच्चों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान दो बच्चे ऊफनती नदी में बहते-बहते बाल-बाल बच गए।
हो सकता था गंभीर हादसा
नदी में अचानक आई बाढ़ के चलते गुरुवार शाम को 30 स्कूली छात्र-छात्राएं बीच नदी में फंस गए। इनमें से एक छात्र और एक छात्रा तो तेज बहाव में बहने भी लगे थे। उन्होंने खुद को किसी तरह चट्टान पकड़ कर बहने से बचाया। इसके बाद सूचना मिलने पर पहुंचे ग्रामीणों ने उन्हें रस्से के सहारे सुरक्षित बाहर निकाला। बच्चों की थोड़ी सी भी असावधानी और हड़बड़ाहट से आज एक बड़ा हादसा हो सकता था।
मोरंड नदी की घटना
यह खौफनाक नजारा आज चिचोली ब्लॉक की मोरन नदी पर देखने को मिला। बाड़ में घिर कर मुसीबत में पड़े यह बच्चे तारा गांव के हैं। तारा गांव के करीब 30 बच्चे हरदू स्थित हायर सेकेंडरी स्कूल में पडऩे के लिए जाते हैं। इन दोनों गांवों की दूरी 4 से 5 किलोमीटर है। शाम 4.30 बजे छुट्टी होने के बाद वे सभी वापस अपने गांव और घर लौट रहे थे।
नदी में फंस गए थे बच्चे
इसी बीच तेज बारिश होने लगी। बच्चों को पता था कि रास्ते में मोरन नदी पड़ती है। उसके उफान पर आने से पहले बच्चे उसे पार कर लेना चाहते थे। बच्चे नदी तक पहुंच भी गए। वे नदी पार ही कर रहे थे कि अचानक नदी में बाढ़ आ गई। इससे सभी बच्चे नदी के बीच में फंस गए। ऐसे में उनकी जान भी हलक में आ गई।
चट्टान पर चढक़र बचाई जान
बच्चे पत्थर आदि पर चढक़र और एक-दूसरे को पकड़ कर खुद को बचाने का प्रयास कर रहे थे। इसी बीच एक छात्र और एक छात्रा तेज बहाव में बहने लगे। इस पर उन्होंने एक चट्टान को पकड़ कर खुद को बहने से रोका। इधर अपने साथ के दो बच्चों को बहते देख कर अन्य बच्चों की हालत और खराब हो गई।
ग्रामीणों ने सकुशल निकाला
संयोग से किसी ग्रामीण का उस ओर पहुंचना हुआ। उसने यह नजारा देखा तो तत्काल ही मोबाइल से ग्रामीणों को सूचना दी। इस पर गांव के सुनील धुर्वे, कमल कवड़े, पप्पू कवड़ेे, प्रकाश विश्वकर्मा, संजू धुर्वे, अरविंद वट्टी सहित अन्य ग्रामीण रस्से लेकर नदी पर पहुंचे। ग्रामीणों के पहुंचने के बाद बच्चों को थोड़ी राहत मिली।
एक घंटे की मशक्कत
इधर ग्रामीण नदी में उतरे और रस्सों के सहारे एक-दूसरे का सहारा लेकर बच्चों तक पहुंचे। इसके बाद एक-एक कर सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। नदी के बाहर निकलने पर बच्चों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया। नदी में उन्हें पल-पल में बहने का डर सता रहा था। बच्चों को नदी से बाहर निकालने में करीब एक घंटे की मशक्कत ग्रामीणों को करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बारिश में हमेशा बच्चों की चिंता सताती रहती है।