बैतूल:- कंपनी गार्डन, आर्य वार्ड निवासी बुजुर्ग किसान आबिद अली पिछले तीन वर्षों से अपनी जमीन के लिए अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। ग्राम बाटामा स्थित उनकी कृषि भूमि के सीमांकन और नक्शे में गड़बड़ी को लेकर उन्होंने मंगलवार को जनसुनवाई में शिकायती आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई।
1. आबिद अली का कहना है कि उनके पास खसरा नंबर 77/1 में कुल 0.881 हेक्टेयर (लगभग 40 डिसमिल) भूमि है, लेकिन सीमांकन के बाद उन्हें सिर्फ 20 डिसमिल भूमि ही सौंपी गई। शेष 26 डिसमिल जमीन का अता-पता नहीं है। उनका आरोप है कि पटवारी लवपित सोनी ने बिल्डरों के साथ साजिश कर नक्शे में जानबूझकर गड़बड़ी की, जिससे उनका रकबा कम दर्शाया गया।
2. उन्होंने बताया कि यह मामला दो वर्ष पूर्व ही नायब तहसीलदार बैतूल के समक्ष दर्ज कराया गया था, जिस पर जांच समिति भी गठित की गई, लेकिन तीन साल बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरआई की रिपोर्ट में भी माना गया है कि सीमांकन में सिर्फ आधी जमीन ही दी गई है।
प्लॉटिंग और निर्माण कार्य जारी, बाकी जमीन गायब:-
1. शिकायत में उल्लेख है कि खसरा 77/1 की भूमि, खसरा 74/4 से लगी हुई है, जिसका फायदा उठाकर जमीन में हेराफेरी की गई और छोटे भूखंड काटकर प्लॉटिंग कर दी गई है। अब भी उस जमीन पर निर्माण कार्य जारी है।
2. जनसुनवाई में आबिद अली ने कहा कि इस पूरे मामले में धारा 115 के तहत नक्शे का सुधार संभव था, लेकिन पटवारी और बिल्डरों की मिलीभगत के चलते सुधार नहीं किया गया।1.इन लोगों पर लगे मिलीभगत के आरोप
पंकज पिता साहेबराव, निवासी मोती वार्ड बैतूल
हेमराज पिता मीश्रीलाल जसूजा, निवासी गणेश वार्ड बैतूल
राजेश वागद्रे पिता भूराजी वागद्रे, निवासी चंद्रशेखर वार्ड, सदर
किसान की पीड़ा: “मैं अपनी ही जमीन के लिए भटक रहा हूं”
आबिद अली का कहना है कि “जब तक पटवारी और बिल्डरों की गठजोड़ खत्म नहीं होगी, तब तक न सीमांकन ठीक होगा, न ही हमें हमारी जमीन का हक मिलेगा।”
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि भ्रष्ट पटवारी और दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो, नक्शे की दोबारा जांच हो और शेष जमीन उन्हें दिलाई जाए।