बुवाई से पहले जानें कौन सा खाद चुनें, होगी बंपर पैदावार। सरसों की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है, लेकिन किसान पहले से ही डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद खरीदने में जुटे हुए हैं। किसानों को डर है कि बुवाई के समय खाद की कमी हो सकती है, इसलिए वे पहले से खाद का भंडारण करना चाहते हैं।
इसी को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे डीएपी की बजाय एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) का भी उपयोग कर सकते हैं।
क्यों जरूरी है एसएसपी का उपयोग?
डीएपी एक लोकप्रिय रासायनिक खाद है, जिसका उपयोग किसान सरसों जैसी फसलों के लिए करते हैं। किसान आमतौर पर प्रति एकड़ 50 किलो यानी एक बोरी डीएपी डालते हैं। लेकिन कृषि विभाग के अनुसार इस मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, खासकर सल्फर की।
एसएसपी एक अच्छा विकल्प है, जो न केवल फॉस्फोरस बल्कि सल्फर की भी पूर्ति करता है। इसमें लगभग 12 प्रतिशत सल्फर होता है, जो सरसों और अन्य तिलहनी फसलों के लिए बेहद आवश्यक है। सल्फर की कमी का फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान डीएपी की बजाय एसएसपी का उपयोग करें, तो पैदावार बढ़ेगी और फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा।
खाद के उपयोग पर विशेषज्ञ की सलाह
कृषि विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक डॉ. संजय यादव का कहना है कि किसान अधिक पैदावार के लिए रासायनिक खाद का अधिक उपयोग कर रहे हैं। फसलों में खाद का प्रयोग केवल आवश्यकता के अनुसार ही करना चाहिए। अधिक खाद डालने से भूमि की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
डॉ. यादव ने सुझाव दिया है कि सरसों की बुवाई के दौरान किसान प्रति एकड़ 75 किलो एसएसपी, 35 किलो यूरिया, 14 किलो पोटाश (एमओपी) और 10 किलो जिंक सल्फेट का उपयोग करें। या फिर एक बोरी एनपीके (12:32:16), दो बोरी जिप्सम, 15-20 किलो यूरिया और 10 किलो जिंक सल्फेट का भी प्रयोग किया जा सकता है।
सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय
सरसों की बुवाई का सही समय आमतौर पर 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच माना जाता है। कुछ किसान इससे पहले भी बुवाई शुरू कर देते हैं। यह बुवाई मुख्य रूप से मानसून के बारिश पर निर्भर करती है। यदि बारिश अच्छी हो तो सरसों का क्षेत्र बढ़ता है, वहीं बारिश कम हो तो इसका क्षेत्र भी घटता है।
हालांकि खाद की उपलब्धता फिलहाल ठीक है, लेकिन किसान बुवाई के समय खाद की कमी की चिंता में पहले से ही खाद खरीदने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों को खाद के चयन में उचित जानकारी होनी चाहिए और बिना कारण चिंता नहीं करनी चाहिए।
खेत की तैयारी भी है जरूरी
खाद के साथ-साथ किसानों को सरसों की बुवाई के लिए खेत की सही तैयारी भी करनी चाहिए। पिछले फसलों की कटाई और जुताई समय पर पूरी करना जरूरी है। इसके अलावा, यदि भूमि में पर्याप्त नमी हो, तो जुताई भी करनी पड़ सकती है। इन कार्यों का भी बुवाई के समय पर प्रभाव पड़ता है।