12 Pille Vali Bakri: बकरी यह नस्ल देती है एक बार में 12 पिल्लै जाने कहा मिलती है इस नस्ल की बकरी

By
On:
Follow Us

बकरी यह नस्ल देती है एक बार में 12 पिल्लै जाने कहा मिलती है इस नस्ल की बकरी सीआईआरजी के बरबरी एक्सपर्ट एमके सिंह ने बताया कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन नौ महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. 

मथुरा का एक बकरा इन दिनों खासा चर्चा में है. चर्चा उसके तीन बच्चों के रिकॉर्ड और इनाम जीतने की है. हाल ही में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने उस बकरे को सम्मानित किया है. सीआईआरजी से सम्मानित होते ही इस बकरे की चर्चा दूर-दूर तक पहुंच गई. जानकारों की मानें तो उस खास बकरे से बकरियों को गाभिन कराने वालों की भी एक लम्बी लिस्ट है. बकरे की चर्चा सुन उसकी बोली भी लगने लगी. अभी कुछ दिन पहले ही बकरे के मालिक ने उसे बकरे-बकरियों के शौकीन एक पशुपालक को बेच दिया है. 

बकरी यह नस्ल देती है एक बार में 12 पिल्लै जाने कहा मिलती है इस नस्ल की बकरी

बकरे के मालिक राशिद की मानें तो ये बरबरी नस्ल का बकरा था. इसे मध्य प्रदेश के एक पशुपालक ने खरीदा है. बकरे के खरीदार ने राशिद को बताया कि वो खुद भी बकरे-बकरियों की ब्रीडिंग पर काम करते हैं. और क्योंकि ये बकरा एक अच्छा ब्रीडर है तो इसलिए वो इसे खरीदने मध्य प्रदेश से मथुरा आए हैं.  

यह भी पढ़े: Nag Nagin True Love: नाग नागिन की सच्ची प्रेम कहानी बिच रास्ते में 2 घंटा किया इंतज़ार लगा दिया रोड पर जाम Video हुआ वायरल लैला मजनू से कम नहीं ये कहानी

जानें बकरे के बारे में क्या बताया राशिद ने 

स्टार साइंटीफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद ने किसान तक को बताया कि हाल ही में एक कार्यक्रम के तहत सीआईआरजी ने उनके बकरे को सम्मानित किया था. वहां मौजूद और सभी बकरों के बीच हमारा बकरा पहले नंबर पर आया था. इस बकरे की खासियत ये है कि इस बकरे से गाभिन होने वालीं बकरियां पहली बार में दो से तीन और दूसरी बार में तीन तक बच्चे  दे रही हैं. इस बकरे की मां ने भी तीन बच्चे दिए थे. साथ ही दो से सवा दो लीटर तक दूध देती थी. इस बकरे की उम्र इस वक्त 22 महीने है. इसका वजन 48 किलो है. 

ये है इस ब्रीडर बकरे की खुराक 

राशिद बताते हैं कि इस बकरे को रोजाना खुराक के तौर पर 400 ग्राम टोटल मिक्स राशन (टीएमआर) देते थे. इसके साथ ही हरा चारा 1.25 किलो और सूखा चारा जैसे दलहनी भूसा भी हर रोज 1.25 किलो खाने में दिया जाता था. जब इसे बकरे से किसी बकरी को गाभिन कराया जाता था तो उसे खास दिन बकरे की खुराक में टीएमआर की मात्रा 600 से 700 ग्राम तक कर दी जाती थी. एक दिन में इस बकरे से पांच से छह बकरियां गाभिन कराई जाती थीं.

एक दिन की सर्विस में कम से कम 12 घंटे का अंतर रखा जाता था. जिससे बकरे को कमजोरी ना आए और बकरे के सीमेन की क्वामलिटी भी खराब ना हो. जब तक ये बकरा हमारे पास रहा है तो करीब 50 बकरियों को ये अपनी सर्विस दे चुका है. उसमे से 15 बकरियों को तीन बच्चे हुए और बाकी को दो बच्चे. तीन बच्चे के जन्म में बकरी के गुण भी बहुत महत्व रखते हैं. आमतौर पर पहली बार में बरबरी बकरी एक ही बच्चा‍ देती है.  

यह भी हैं बरबरी नस्ल के बकरे-बकरियों की खासियत 

13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक हो जाती है. 

15 महीने में दो बार बच्चे देती है. 

10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे देती है. 

बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है. 

बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है. 

पहली बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती है.