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कतर दौरे पर जाएंगे पाकिस्तान PM शहबाज शरीफ, इज़रायल को लेकर मुस्लिम देशों में एकजुटता की कवायद

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मध्य-पूर्व में चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान ने अब कतर और खाड़ी देशों के साथ मिलकर इज़रायल के खिलाफ एकजुटता दिखाने की कोशिश शुरू कर दी है। हाल ही में फ़िलिस्तीन, लेबनान, सीरिया और यमन में इज़रायल की कार्रवाई के बाद अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कतर दौरे पर जा रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब इज़रायल ने दोहा में बड़ा हमला कर कई हमास आतंकियों को मार गिराया।

इज़रायल ने दोहा में हमास को बनाया निशाना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़रायल ने कतर की राजधानी दोहा पर हमला कर कम से कम 6 हमास अधिकारियों को मार गिराया। बताया जा रहा है कि इज़रायल को खुफिया जानकारी मिली थी कि दोहा में हमास के आतंकी बैठक कर रहे हैं। इस हमले में 5 हमास आतंकी ढेर हो गए। इसी बीच पाकिस्तान ने कतर और मुस्लिम देशों के साथ खड़े होने का ऐलान किया है।

शहबाज शरीफ का दौरा और खतरा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार को कतर पहुंचेंगे। उनका यह कदम इज़रायल के खिलाफ मुस्लिम देशों की एकजुटता का संदेश माना जा रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से पाकिस्तान भी इज़रायल की हिट लिस्ट में शामिल हो सकता है। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब इज़रायल और अमेरिका ने मिलकर ईरान के 3 गुप्त परमाणु ठिकानों को नष्ट किया है।

विदेश मंत्री इशाक डार भी होंगे साथ

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, प्रधानमंत्री के साथ डेप्युटी PM और विदेश मंत्री इशाक डार समेत एक हाई-लेवल डेलीगेशन भी कतर जाएगा। पाकिस्तान ने दोहा पर हुए इज़रायल के हवाई हमलों को “कायराना कार्रवाई” बताया और कहा कि यह दौरा कतर की सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति पाकिस्तान के समर्थन का प्रतीक है।

कतर के अमीर से मुलाकात

शहबाज शरीफ दोहा में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे कतर के लोगों और नेतृत्व के प्रति संवेदनाएं और समर्थन व्यक्त करेंगे। पाकिस्तान और कतर के बीच पहले से ही नजदीकी द्विपक्षीय संबंध हैं और पाकिस्तान कई बार इज़रायल के हमलों की निंदा कर चुका है।

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क्या होगी रक्षा सहयोग पर बात?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरे में सिर्फ एकजुटता का संदेश ही नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर भी चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान का यह कदम पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता को लेकर उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, अब देखना होगा कि इज़रायल इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है।

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