ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शरणार्थियों को लेकर कहा है कि इन्हें संभाल पाना अब मुश्किल हो रहा है। बांग्लादेश में रह रहे 13 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ बांग्लादेश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन गई है।
इसी के साथ मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि सभी देश एकजुट होकर रोहिंग्या मुस्लिमों को सुरक्षित तरीके से म्यांमार वापस भेजने में मदद करें। उन्होंने इस दिशा में सोमवार को 7 प्वाइंट का रोडमैप भी जारी किया है। वहीं
यूनुस ने अपने बयान में रेखांकित किया कि बांग्लादेश में 13 लाख से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं। इन शरणार्थियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भारी दबाव पड़ा है। उन्होंने कहा है कि 2017 में म्यांमार से हिंसा और दमन के बाद सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश चले आए थे। कॉक्स बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर मौजूद है।
रोहिंग्या नरसंहार स्मृति दिवस
इसी बीच कॉक्स बाजार में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों ने ‘रोहिंग्या नरसंहार स्मृति दिवस’ भी मनाया। शरणार्थियों ने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया, जिन पर लिखा था- “नो मोर रिफ्यूजी लाइफ” यानी शरणार्थी का कोई जीवन नहीं। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय संगठनों और कई देशों के डिप्लोमैट्स ने भी हिस्सा लिया।
कब शुरू हुआ पलायन?
25 अगस्त 2017 को म्यांमार के रखाइन प्रांत में अराकान सेना और सुरक्षा बलों के दमन से बचकर लाखों रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचे थे। उस समय करीब 70 हजार लोग भागकर आए, जबकि पहले से ही 3 लाख से ज्यादा शरणार्थी बांग्लादेश में रह रहे थे।
आज उनकी संख्या बढ़कर 13 लाख हो चुकी है।
शरणार्थियों के मामले पर बोले यूनुस……रोहिंग्याओं को संभालना अब हो रहा मुश्किल

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