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विपक्ष का काम रोको प्रस्ताव स्वीकार करेंगे लोकसभा के अध्यक्ष?

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संसद में कभी भी काम रोको प्रस्ताव पर सरकार ने चर्चा नहीं हुई।पिछले 11 वर्षों में बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई हैं। जब भी विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव पेश करता है। उसे लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति, खारिज कर देते हैं। जिसके कारण विपक्ष और आसंदी के बीच सत्र के दौरान तनाव बना रहता है। पहलगाम की घटना के बाद विपक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही थी। सरकार ने संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाया। मणिपुर की घटना को लेकर भी विपक्ष काम रोको प्रस्ताव लाया था। सरकार ने उसे भी स्वीकार नहीं किया था।
संसद में बिजनेस कमेटी कभी भी काम रोको प्रस्ताव पर सहमत नहीं होगी। संसद की बिजनेस कमेटी में सत्ता पक्ष का बहुमत होता है। किसी भी गंभीर विषय पर सरकार काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा क्यों नहीं कराती है। इसके क्या कारण हो सकते हैं?
नियमों के अनुसार काम रोको प्रस्ताव तभी स्वीकार किया जा सकता है।जब मामला अत्यंत गंभीर तात्कालिक और सार्वजनिक महत्व का हो। जहां सरकार की विफलता हो, काम रोको प्रस्ताव नियम 56-60 के अंतर्गत लाया जाता है। इसमें कड़ी शर्तों का प्रावधान है। अध्यक्ष को अधिकार होता है, वह अपने स्तर पर इसे अस्वीकार कर सकता है। काम रोको प्रस्ताव स्वीकार नहीं करने दशा मे सभापति यह सुझाव देते हैं। इस नियम से अलग सदन में चर्चा करने का मौका विपक्ष को दिया जाएगा। इससे सरकार को सहायता मिलती है।वह जो भी जवाब देना चाहे या ना देना चाहे, सामान्य प्रक्रिया के तहत एक निश्चित समय का आवंटन कर सदन में चर्चा होती। इसमें विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता है। ना ही इस मतदान हो सकता है। काम रोको प्रस्ताव सरकार के लिए दो धारी तलवार की तरह होता है। इसमें सरकार गिर भी सकती है। वहीं सरकार को विपक्ष के सारे सवालों का जवाब देना होता है।
सरकार ने विशेष सत्र बुलाने की मांग को इसलिए अस्वीकार किया था। केवल उसी मुद्दे पर सदन में चर्चा होती, जिसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया है। सरकार को जवाब देना मुश्किल हो सकता था। इसलिए संसद सत्र की  अधिसूचना पहले 8-10 दिन पहले जारी होती थी। इस बार काफी समय पहले मानसून सत्र की अधिसूचना जारी कर दी थी। इसको देखते हुए स्पष्ट है, सरकार और सभापति विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव मान्य नहीं करेंगे। जिसके कारण संसद का मानसून सत्र काफी हंगामेदार होगा। संसद की कार्रवाई हो हल्ले और हंगामा की भेंट मानसून सत्र चढ़ेगा। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

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