विवाह का पहला निमंत्रण पत्र भगवान को ही क्यों दिया जाता है? आइये जानते है…, ज्योतिषियों के अनुसार विवाह के लिए शुक्र ग्रह कारक माना जाता है. जब कुंडली में शुक्र मजबूत हो या शुक्र की महादशा चल रही हो तो जातक के विवाह के योग बनते हैं. विवाह भाव में शुक्र होने पर जातक के विवाह की संभावनाएं 26वें वर्ष से बनना शुरू हो जाती हैं. हालांकि, विवाह के लिए अन्य ग्रहों और भावों को भी देखा जाता है.
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कब है शुक्र ग्रह का उदय
हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कलशtami मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है. आषाढ़ महीने में कलशтами 28 जून को है. इसी दिन विवाह और सुख का कारक शुक्र ग्रह उदय होगा. वर्तमान में शुक्र ग्रह अस्त चल रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार गुरु और शुक्र ग्रह अस्त होने पर विवाह सहित सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं.
28 जून को शुक्र ग्रह का उदय होगा. इसके बाद अगले चार दिनों तक वह बाल रूप में रहेगा. फिर 03 जुलाई को शुक्र ग्रह युवा अवस्था को प्राप्त हो जाएगा. इसी दिन से विवाह सहित सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे. इस दिन से विवाह के लिए लग्न मुहूर्त भी बनने लगेंगे.
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विवाह का पहला निमंत्रण पत्र भगवान को ही क्यों दिया जाता है?
वर्तमान समय से ही लोग शादी की तैयारियों में जुट चुके हैं. इसकी एक झलक हमें नीता अंबानी द्वारा काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर में अपने बेटे के विवाह के लिए भगवान शिव को निमंत्रण दिए जाने वाले कार्ड (Anant and Radhika merchant wedding card) से मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवाह का पहला निमंत्रण पत्र किसे दिया जाता है? आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ-
ज्योतिषियों के अनुसार विवाह का पहला निमंत्रण पत्र रिद्धि और सिद्धि के देवता भगवान गणेश को दिया जाता है. इस समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हुए विवाह का कार्ड देकर विवाह में आने का निमंत्रण दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि निमंत्रण मिलने के बाद भगवान गणेश अदृश्य रूप में विवाह में जरूर शामिल होते हैं. उनकी कृपा से विवाह में कोई बाधा नहीं आती है. साथ ही विवाह का कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता है.
मंत्र (Mantra)
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि संपृभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वका कार्येषु सर्वदा।।
भगवान शिव और भगवान विष्णु
ज्योतिष शास्त्र में विवाह का पहला निमंत्रण देवों के देव महादेव और लोक रक्षक भगवान विष्णु को देने का भी विधान है. इसलिए विवाह का पहला निमंत्रण पत्र भगवान शिव को या भगवान विष्णु को भी दिया जाता है. यह व्यक्ति की सुविधा पर निर्भर करता है. अगर आस-पास गणेश मंदिर है तो सबसे पहले विवाह का पहला निमंत्रण पत्र भगवान गणेश को दिया जाता है. वहीं अगर सुविधा न हो तो निकटतम मंदिर में विराजमान देवी-देवता को दिया जाता है. भगवान विष्णु को विवाह का निमंत्रण पत्र देते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है.
मंगलं भगवान विष्णु:, मंगलं गरुडध्वज:।
मंगलं पुण्डरीकाक्षः, मंगलाय तनो हरि:।।
कौन देता है निमंत्रण?
ज्योतिषियों का कहना है कि वधू या वर को ही निमंत्रण देना सर्वोत्तम होता है. वर या वधू की अनुपस्थिति में वर या वधू के माता-पिता भगवान को निमंत्रण दे सकते हैं। इस समय विधि-विधान से देवी-देवता की पूजा करें। इसके बाद विवाह सफलपूर्वक संपन्न होने की कामना कर शादी का कार्ड भगवान को देना चाहिए। हालांकि, शादी का कार्ड देवी-देवताओं को अर्पित करते समय स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन जरूर करें। कई जगहों पर कुल की देवी या देवता को सबले पहले शादी का आमंत्रण दिया जाता है। इसके बाद अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। वहीं, देवी-देवताओं को निमंत्रण देने के बाद पितरों को भी विवाह में जरूर आमंत्रित करें। पितरों की अनदेखी बिल्कुल न करें। ऐसा करने से विवाह में किसी न किसी प्रकार से बाधा जरूर आती है।