Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

WHO की चेतावनी का नहीं पड़ा भारत के लोगो पर असर, अभी भी खा रहे सफ़ेद जहर

By
On:

WHO की चेतावनी का नहीं पड़ा भारत के लोगो पर असर, अभी भी खा रहे सफ़ेद जहर। हाल ही में WHO की एक रिपोर्ट में बताया गया कि चीनी या नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

इसके चलते इनका अत्यधिक सेवन न करने की सलाह दी गई है। लेकिन हाल ही में एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीयों में चीनी का सेवन काफी बढ़ गया है और उनका मीठे खाद्य पदार्थों की तरफ रुझान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। चीनी की खपत में कोई कमी नहीं आई है।

शहरों में रहने वाले हर 2 भारतीयों में से 1 ज्यादा मीठा खा रहा है

हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि शहरों में रहने वाले हर 2 उपभोक्ताओं में से 1 हर हफ्ते मिठाइयां, पैकेज्ड बेकरी प्रोडक्ट्स, चॉकलेट, बिस्कुट आदि का सेवन कर रहा है। इतना ही नहीं, शहरी भारतीय परिवारों में पारंपरिक मिठाइयों का सेवन भी कई बार बढ़ गया है।

2023 में यह आंकड़ा 41% था, जबकि 2024 में यह बढ़कर 51% हो गया है। सर्वे के अनुसार, 56% शहरी भारतीय परिवार हर महीने केक, बिस्कुट, आइसक्रीम, शेक्स, चॉकलेट, कैंडी आदि का सेवन 3 या उससे ज्यादा बार कर रहे हैं। इनमें से 18% भारतीय ऐसे हैं जो इन चीजों को हर दिन खाते हैं। त्योहारों का सीजन आने वाला है, ऐसे में कम चीनी वाले उत्पाद लाने वाले ब्रांड्स को ज्यादा लाभ मिल सकता है।

चीनी की खपत में भारी वृद्धि

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) के अनुसार, भारत में चीनी की खपत में भारी वृद्धि हो रही है, जिससे हर साल इसकी मांग बढ़ रही है। DFPD के मुताबिक, भारत की वार्षिक चीनी खपत लगभग 290 लाख टन (29 मिलियन) तक पहुंच गई है। 2019-20 में यह आंकड़ा 28 मिलियन मीट्रिक टन था। चीनी की कुल खपत बढ़ने के बावजूद, चीनी-फ्री उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है, विशेष रूप से भारतीय मिठाइयों और आइसक्रीम में चीनी का उपयोग अधिक हो रहा है। बाजार में कुछ चीनी-फ्री वेरिएंट भी लॉन्च किए गए हैं।

प्राकृतिक चीनी वाले उत्पाद हुए लॉन्च

कई ब्रांड्स ने ऐसे खाद्य उत्पाद लॉन्च किए हैं, जिनमें खजूर, अंजीर और गुड़ जैसे प्राकृतिक शुगर का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, अधिकांश ब्रांड्स ने अपने नियमित उत्पादों के कम-चीनी वेरिएंट लॉन्च करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।

LocalCircles द्वारा नवंबर 2023 में किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि अधिकांश उपभोक्ताओं को मिठाइयों, चॉकलेट, कुकीज़, बेकरी प्रोडक्ट्स और आइसक्रीम में चीनी की मात्रा उम्मीद से अधिक मिली है।

पारंपरिक मिठाइयों का सेवन भी बढ़ा

LocalCircles ने 2024 में मिठाइयों की खपत पर एक सर्वे जारी किया। इस सर्वेक्षण के माध्यम से यह समझने की कोशिश की गई कि भारतीय घरों में चीनी की खपत के पैटर्न में कोई बदलाव आया है या नहीं। क्या पारंपरिक मिठाइयों की जगह अन्य मीठे उत्पादों का सेवन बढ़ा है, और क्या भारतीय उपभोक्ताओं ने कम-चीनी वाले उत्पादों को स्वीकार किया है। इस सर्वे में भारत के 311 जिलों से 36,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। इनमें से 61% उत्तरदाता पुरुष थे, जबकि 39% महिलाएं थीं। 42% उत्तरदाता टियर 1 शहरों से थे, 29% टियर 2 से, और 29% टियर 3 और 4 जिलों से थे।

अधिकांश घरों में भोजन के बाद कुछ मीठा खाना आम बात है, जब तक कि कोई स्वास्थ्य समस्या न हो। सर्वे में उपभोक्ताओं से पूछा गया, “आप/आपके परिवार के सदस्य हर महीने कितनी बार पारंपरिक भारतीय मिठाइयों का सेवन करते हैं?” इस प्रश्न का उत्तर 12,248 लोगों ने दिया, जिनमें से केवल 10% ने कहा कि वे हर दिन पारंपरिक भारतीय मिठाइयों का सेवन करते हैं।

6% उत्तरदाताओं ने “15-30 बार प्रति माह” कहा; 8% ने “8-15 बार प्रति माह” और 27% ने “3-7 बार प्रति माह” जवाब दिया। 39% ने बताया कि वे “1-2 बार प्रति माह” पारंपरिक मिठाइयां खाते हैं। केवल 4% ने कहा कि यह प्रश्न उन पर लागू नहीं होता क्योंकि वे पारंपरिक मिठाइयां नहीं खाते, जबकि 6% ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। कुल मिलाकर, 51% शहरी भारतीय परिवार हर महीने 3 या उससे अधिक बार पारंपरिक मिठाइयों का सेवन करते हैं।

2024 में पारंपरिक मिठाइयां खाने वाले शहरी भारतीय परिवारों की संख्या 41% से बढ़कर 51% हो गई है।

For Feedback - feedback@example.com

1 thought on “WHO की चेतावनी का नहीं पड़ा भारत के लोगो पर असर, अभी भी खा रहे सफ़ेद जहर”

Comments are closed.

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News