बैतूल के 7 पी एच सी सेंटर भी जल संकट से ग्रसित
भोपाल – मध्यप्रदेश में गर्मी पड़नी भी शुरू हो चुकी है। सरकार हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है।
इसके बावजूद गांवों के सरकारी अस्पताल पानी की कमी से जूझ रहे हैं। प्रदेश में 2200 से ज्यादा सरकारी अस्पताल ऐसे हैं, जहां पानी की कमी से मरीज को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ये खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से ही हुआ है।
जलसंकट के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और पीएचसी लेवल के कई अस्पतालों में प्रसव नहीं हो पा रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा 290 सरकारी अस्पतालों में पानी का संकट है।
भोपाल के 23 अस्पतालों में पानी की कमी
प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, बल्कि राजधानी भोपाल के भी 23 अस्पतालों में पानी का संकट है। भोपाल के गांधीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में पानी का संकट है।
इस कारण यहां प्रसव कराने, सर्जरी से लेकर शौचालय का उपयोग करने के लिए पानी की दिक्कत है। भोपाल के एयरपोर्ट से सटे इस अस्पताल में नगर निगम के टैंकरों से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है।
मरीज ही नहीं, स्टाफ भी परेशान
इसके अलावा नजीराबाद, फंदा, तूमड़ा, गुनगा, धमर्रा, रूनाहा, बरखेडी देव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी यहीं हाल हैं।
आदमपुर, भौंरी, गोल, अरवलिया, जमुनियांकला, मुंड़ला, रसूलिया पठार, गढ़ा कला, सूरजपुरा, नया समंद, खितमास, बरखेड़ा बरमाड, निपानिया सूखा, मुगालिया छाप, खजूरी सड़क, टीलाखेड़ी, दीपड़ी के उप स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की कमी के कारण मरीज ही नहीं स्टाफ भी परेशान है।
कर्मचारियों की मानें तो पानी की कमी के कारण आए दिन अस्पतालों में विवाद की स्थिति बन रही है।
आदिवासियों के अस्पतालों का गला सूखा
स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में 2228 स्वास्थ्य संस्थाएं जलसंकट से जूझ रही हैं। इनमें आदिवासी क्षेत्रों की हालत सबसे ज्यादा खराब है।
छिंदवाड़ा में सर्वाधिक 290, सिवनी में 129, डिंडोरी में 188, बड़वानी में 168, मंदसौर में 160, रतलाम में 151 अस्पताल पानी की परेशानी का सामना कर रहे हैं।
उप-स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सीएचसी और सिविल अस्पतालों में यह समस्या बनी हुई है। मुरैना जिले के सीएमएचओ ऑफिस और स्टोर में पानी की परेशानी है।
(साभार)