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Vladimir Putin India visit: चार साल बाद भारत आएंगे रूसी राष्ट्रपति पुतिन। अगले महीने S-400 डिफेंस डील पर लग सकती है मुहर

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Vladimir Putin India visit : रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव के बीच अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं। यह दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि भारत और रूस के बीच लंबित S-400 डिफेंस डील पर अगले महीने मुहर लग सकती है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों की मानें, तो पीएम नरेंद्र मोदी और पुतिन की मुलाकात के दौरान यह ऐतिहासिक समझौता पूरा हो सकता है।

पुतिन का दो दिवसीय भारत दौरा

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर के पहले हफ्ते में दो दिन की भारत यात्रा पर आएंगे।
यह दौरा चार साल बाद हो रहा है, जिससे यह और भी महत्वपूर्ण बन जाता है।
भारत और रूस की यह मुलाकात इक्कीसवीं भारत रूस वार्षिक शिखर बैठक का हिस्सा है।
इस दौरान पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच कई मुद्दों पर विस्तृत बातचीत होगी।

S-400 डील पर लग सकती है अंतिम मोहर

भारत लंबे समय से S-400 मिसाइल सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाया कि मौजूदा सिस्टम काफी काम में लगाया गया था।
रक्षा मंत्रालय का लक्ष्य है कि सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त S-400 यूनिट्स शामिल की जाएं।
अगर डील फाइनल होती है, तो भारत की एयर डिफेंस स्ट्रैटेजी और मजबूत हो जाएगी।

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की अहम भूमिका

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों को बड़ी संख्या में ध्वस्त किया था।
यह मिसाइल सिस्टम पाकिस्तान की सीमा के भीतर तीन सौ पंद्रह किलोमीटर तक जाकर उनके विमान को गिराने में सक्षम रहा।
इस कार्रवाई के बाद भारतीय सेना ने इसे भविष्य की लड़ाकू रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया।
विशेषज्ञ मेजर जनरल एसके सिंह के अनुसार, S-400 एयर डिफेंस की रीढ़ बन सकता है।


S-400 की जबरदस्त ताकत और खूबियां

पहली खासियत यह है कि S-400 बिग बर्ड नामक हाई टेक रडार से लैस है, जो दूर से आने वाले ड्रोन और मिसाइलों को पकड़ लेता है।
दूसरी बड़ी बात यह है कि यह एक साथ पैंतीस टारगेट पर हमला करने में सक्षम है।
तीसरी क्षमता इसकी यह है कि पाकिस्तान के एफ सोलह लड़ाकू विमान भी इससे नहीं बच सके।
इसने लाहौर से लेकर रावलपिंडी और सियालकोट तक पाकिस्तान के रडार सिस्टम को बेअसर कर दिया था।

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भारत रूस संबंधों में बड़ा पड़ाव

पुतिन का यह दौरा केवल एक डिफेंस डील तक सीमित नहीं है।
भारत और रूस ऊर्जा, व्यापार, रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर पहले से ही रणनीतिक साझेदार हैं।
दोनों देशों के बीच यह मुलाकात आने वाले वर्षों में संबंधों को और मजबूत करेगी।

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