डॉक्यूमेंट में वर्ष 2047 तक राज्य की अर्थव्यवस्था को 250 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने की कार्ययोजना
Vision document: केंद्र सरकार के विकसित भारत विजन डॉक्यूमेंट की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार भी ‘विकसित मप्र @2047’ विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेगी। इस डॉक्यूमेंट में वर्ष 2047 तक राज्य की अर्थव्यवस्था को 250 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। सोमवार को नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम और मप्र के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने भोपाल में पहली बैठक कर इस योजना की शुरुआत की।
नीति आयोग के सीईओ सुब्रह्मण्यम ने इस योजना को सावधानीपूर्वक तैयार करने पर जोर देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश को भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों को ध्यान में रखकर योजना बनानी होगी। चूंकि मप्र लैंड-लॉक्ड राज्य है और समुद्री बंदरगाहों की कमी है, इसलिए राज्य को नोएडा की तरह ड्राईपोर्ट बनाने जैसे उपायों पर विचार करना चाहिए। सुब्रह्मण्यम ने पर्यटन क्षेत्र में राज्य की व्यापक संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तभी लाभ मिलेगा जब पर्यटक यहां ठहराव भी करेंगे। इसके लिए राज्य को ऐसे आकर्षण विकसित करने होंगे, जो मंदिरों, स्मारकों और वन्यजीवों के अलावा पर्यटकों को यहां रुकने के लिए प्रेरित करें।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि वर्ष 2047 तक मध्य प्रदेश को आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नति का मॉडल राज्य बनाना है। बैठक में यह भी बताया गया कि बोस्टन काउंसिलिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा किए गए आर्थिक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में राज्य की जीडीपी 13.6 लाख करोड़ रुपये है, जो अगले पांच वर्षों में दोगुनी होकर 27.2 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यटन, कृषि और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तीव्र विकास से 2047 तक राज्य की जीडीपी 250 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचने की संभावना है।
भावनात्मक जुड़ाव और सुझाव सुब्रह्मण्यम, जो छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और 2001 से पहले संयुक्त मप्र में सेवा दे चुके हैं, ने बताया कि करियर के शुरुआती तीन वर्षों में वे भोपाल के वल्लभ भवन में पदस्थ थे, जिससे उनका राज्य से भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि इस विजन डॉक्यूमेंट को केवल वर्तमान आवश्यकताओं का संकलन न बनाकर भविष्य की संभावनाओं और चुनौतियों का भी पूर्वानुमान लगाना चाहिए। इसे 5-5 साल की योजनाओं में विभाजित करने का सुझाव दिया गया। सुब्रह्मण्यम ने राज्य में प्राइवेट एयरपोर्ट बनाने और इससे जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा की। बढ़ते कृषि उत्पादन को देखते हुए उन्होंने भंडारण क्षमता बढ़ाने और निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग पर केंद्रित उत्पादों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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