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शगुन शास्त्र में छींक का महत्व: जानें कब होती है शुभ और कब अशुभ

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शगुन शास्त्र में छींक का महत्व: जानें कब होती है शुभ और कब अशुभ,शगुन शास्त्र में कई प्रकार की मान्यताओं का वर्णन किया गया है, जिनमें छींक (Sneezing) का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यदि कोई व्यक्ति किसी शुभ कार्य के लिए निकलते समय छींक देता है, तो यह अशुभ संकेत माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान काम में बाधा आ सकती है या कार्य अधूरा रह सकता है।

छींक कब मानी जाती है अशुभ?

अगर कोई व्यक्ति घर से निकलते समय या किसी काम की शुरुआत से पहले छींक दे, तो इसे अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि इससे कार्य में असफलता मिल सकती है। इसके अलावा, यदि कोई मेहमान घर से लौटते समय छींक सुन ले, तो उसकी यात्रा में रुकावट या परेशानी आने की संभावना होती है। हालांकि, यदि छींक किसी छोटे बच्चे की हो, तो यात्रा को शुभ और सुखद माना जाता है।

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छींक कब होती है शुभ?

शगुन शास्त्र के अनुसार, कुछ परिस्थितियों में छींक आना शुभ संकेत माना जाता है।

  • यदि कोई व्यक्ति श्मशान घाट या दुर्घटनास्थल पर छींक दे, तो यह शुभ माना जाता है।
  • खाना खाने या नहाने से पहले छींक आना भी शुभ माना जाता है।
  • यदि आप पैसे गिनते समय छींकते हैं, तो इसे धन लाभ का संकेत समझा जाता है।
  • एक बार नहीं, बल्कि लगातार दो या अधिक बार छींकना भी शुभ शगुन होता है।
  • अगर किसी को दवा लेने के समय छींक आती है, तो इसे बीमारी से छुटकारे का संकेत माना गया है।
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