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आदिवासी छात्र-छात्राओं ने स्थापना दिवस पर दिखाई अपनी कला की चमक,भौंरा के सीनियर बालक छात्रावास और कन्या आश्रम में रंगारंग कार्यक्रमों ने बांधा समां
भौंरा । मध्य प्रदेश स्थापना दिवस एवं छात्रावास दिवस के अवसर पर शनिवार को भौंरा स्थित शासकीय आदिवासी सीनियर बालक छात्रावास एवं शासकीय आदिवासी प्राथमिक कन्या आश्रम में उत्साहपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दोनों छात्रावासों में रंग-बिरंगे परिधान, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और छात्रों की प्रतिभा ने माहौल को उत्सवमय बना दिया। प्राथमिक कन्या आश्रम में छात्राओं ने सुबह से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। मुख्यद्वार पर आकर्षक रंगोली सजाई गई, तत्पश्चात छात्राओं ने स्वागत गीत, नृत्य, समूहगान और भाषण प्रस्तुत किए। वहीं सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें एकल, युगल और सामूहिक नृत्य, आदिवासी एवं फिल्मी गीतों की प्रस्तुतियां और हास्य नाटक ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भाजपा मंडल अध्यक्ष महेंद्र सिरोठिया, सरपंच मीरा धुर्वे, जनपद सदस्य सुधीर नायक, जय किशोर मिश्रा, नरेंद्र राठौर, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष दिलीप माधव, डॉ. सिकदार, उत्तम वर्मा, सुनील धुर्वे और राजेंद्र कावड़कर विशेष रूप से उपस्थित रहे। मंच संचालन अधीक्षिका आरती कावरे ने किया, जिन्होंने बालिकाओं की प्रस्तुतियों का जीवंत परिचय कराते हुए कार्यक्रम को ऊर्जा से भर दिया। वहीं सीनियर छात्रावास में अधीक्षक सीताराम धुर्वे ने कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और संगठन भावना का विकास करते हैं। बच्चों ने जो अनुशासन और प्रतिभा दिखाई, वह प्रेरणादायक है।
इस अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष महेंद्र सिरोठिया ने अपने संबोधन में कहा कि स्थापना दिवस हमें प्रदेश की गौरवशाली परंपरा और आदिवासी संस्कृति की जड़ों से जोड़ता है। छात्रावासों में इस तरह के कार्यक्रम नई पीढ़ी में संस्कृति और अनुशासन के प्रति सम्मान का भाव जगाते हैं।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उपस्थित अतिथियों ने विजेता छात्र-छात्राओं को शील्ड प्रदान कर प्रोत्साहित किया और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। भौंरा के दोनों छात्रावासों में स्थापना दिवस का यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि आदिवासी विद्यार्थियों की कला, संस्कृति और आत्मविश्वास का जीवंत प्रदर्शन था। इसने साबित किया कि ग्रामीण अंचल के छात्र भी अवसर मिलने पर किसी से कम नहीं।







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