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देशभर में हाइवे और एक्सप्रेसवे के टोल में बढ़ोत्तरी, NHAI ने किया नया ऐलान

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नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पूरे देश में संचालित किए जाने वाले हाइवे और एक्सप्रेसवे के टोल चार्जेस में औसत 4 से 5 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है। इसकी वजह महंगाई के कारण बढ़ती लागत को समायोजित करना था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह समायोजन एनएचएआई की वार्षिक समीक्षा का हिस्सा है, जो थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के साथ टोल दरों को संरेखित करता है और अतिरिक्त आय से हाइवे रखरखाव और विस्तार परियोजनाओं को सहायता मिलेगी।

एनएचएआई के नोटिफिकेशन के अनुसार, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर सराय काले खां से मेरठ जाने वाली कारों और जीपों के लिए एक तरफ का टोल अब 165 रुपये से बढ़कर 170 रुपये हो जाएगा, जबकि गाजियाबाद से मेरठ जाने के लिए टोल 70 रुपये से बढ़कर 75 रुपये हो जाएगा।

इस मार्ग पर हल्के वाणिज्यिक वाहनों और बसों को प्रति ट्रिप 275 रुपये देने होंगे, जबकि ट्रकों को 580 रुपये देने होंगे। एनएच-9 पर छिजारसी टोल प्लाजा पर कारों के लिए टोल 170 रुपये से बढ़कर 175 रुपये हो जाएगा, हल्के वाणिज्यिक वाहनों को 280 रुपये जबकि बसों और ट्रकों को 590 रुपये देने होंगे।

लखनऊ से होकर गुजरने वाले हाइवे पर यात्रा करने वाले मोटर चालकों को, जिनमें राज्य की राजधानी को कानपुर, अयोध्या, रायबरेली और बाराबंकी से जोड़ने वाले हाइवे भी शामिल हैं, हल्के वाहनों के लिए प्रति चक्कर 5 से 10 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, जबकि भारी वाहनों को 20 से 25 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।

इसके अतिरिक्त, अब कारों के लिए मासिक पास की कीमत 930 रुपये से बढ़कर 950 रुपये हो जाएगी, जबकि कैब के लिए यह राशि 1225 रुपये से बढ़कर 1255 रुपये हो जाएगी। हल्के मोटर वाहनों और मिनी बसों के लिए एक तरफ का टोल 120 रुपये से बढ़कर 125 रुपये हो जाएगा।

दिल्ली-जयपुर हाईवे पर खेड़की दौला टोल प्लाजा पर निजी कारों और जीपों के लिए टोल वही रहेगा, लेकिन बड़े वाहनों पर प्रति ट्रिप 5 रुपये की बढ़ोतरी होगी। कारों के लिए मासिक पास की कीमत अब 930 रुपये से बढ़कर 950 रुपये हो जाएगी और वाणिज्यिक कारों और जीपों के लिए यह राशि 1225 रुपये से बढ़कर 1255 रुपये हो जाएगी। हल्के मोटर वाहनों और मिनी बसों के लिए सिंगल-ट्रिप टोल 120 रुपये से बढ़कर 125 रुपये हो जाएगा।

भारत के नेशनल हाइवे नेटवर्क पर लगभग 855 प्लाजा हैं, जिनमें से 675 सरकार के द्वारा फंडिंड हैं, जबकि लगभग 180 प्लाजा निजी ऑपरेटरों द्वारा मैनेज किए जाते हैं।

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