किसानो के लिए कुबेर का ख़जाना है इस खास नस्ल की भैंस! रोजाना देती है 15 से 20 लीटर दूध, भदावरी भैंस, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की एक उन्नत जल भैंस नस्ल है। यह मुख्य रूप से आगरा और इटावा जिलों में दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है, और मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिलों में भी लोकप्रिय है। भदावरी भैंस अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता, गांठदार शरीर, और दमदार शक्ति के लिए जानी जाती है।
ये भी पढ़े- 125cc सेगमेंट में भौकाल मचाने आई KTM Duke 125! देखे डिजाइन, फीचर्स और स्पेसिफिकेशन्स
यहां भदावरी भैंस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
शारीरिक विशेषताएं:
- रंग: भदावरी भैंस का रंग तांबे जैसा काला होता है, जो इसकी पहचान है।
- शरीर: इनका शरीर गांठदार और मजबूत होता है।
- सींग: इनके सींग छोटे और आगे की ओर मुड़े हुए होते हैं।
- कान: इनके कान मध्यम आकार के होते हैं।
विशेषताएं:
- दूध उत्पादन: भदावरी भैंस दूध उत्पादन में अग्रणी है।
- औसत दूध: एक भदावरी भैंस 1 दिन में 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है।
- दूध की गुणवत्ता: इसके दूध में 14 से 18% तक वसा होता है, जो इसे घी बनाने के लिए उत्तम बनाता है।
- गर्भधारण अवधि: इनकी गर्भधारण अवधि लगभग 270 दिन होती है।
- बछिया का जन्म: एक भैंस एक बार में 1 या 2 बछियों को जन्म देती है।
- कार्यक्षमता: भदावरी भैंस मेहनती और रोग प्रतिरोधी होती है।
- आयु: इनकी औसत आयु लगभग 15 से 20 वर्ष होती है।
ये भी पढ़े- SIM को BSNL में PORT करवाने से पहले जान ले क्या आपके एरिया में है BSNL का नेटवर्क? देखे प्रोसेस
उपयोग:
- दूध: भदावरी भैंस का दूध उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका उपयोग घी, दही, पनीर और मक्खन बनाने के लिए किया जाता है।
- गोबर: इनका गोबर खाद के रूप में उपयोगी होता है।
- कर्षण कार्य: इनका उपयोग खेती और बैलगाड़ी खींचने जैसे कार्यों में भी किया जाता है।
भदावरी भैंस पालन:
- भदावरी भैंसों को साफ-सुथरे और हवादार आवास में रखना चाहिए।
- इन्हें पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी प्रदान करना चाहिए।
- इनका नियमित रूप से टीकाकरण कराना चाहिए।
- प्रजनन के लिए उत्तम नस्ल के बैल